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लखनऊ : विकास प्राधिकरण बन गया भू माफिया और अफसर के विकास का प्राधिकरण गायब है 23000 फाइले

लखनऊ विकास प्राधिकरण बन गया भू माफिया और अफसर के विकास का प्राधिकरण गायब है 23000 फाइले |

 

दिलीप सिंह बाफीला तो एक चेहरा भर है जो बीते सप्ताह एलडीए बीसी अभिषेक प्रकाश की छापेमारी में सामने आ गया लेकिन असल में ऐसे एक दो नहीं पूरे 119 चिन्हित भू- माफिया है जिन्होंने एलडीए की जमीनों पर कब्जा कर रखा है 

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लखनऊ :   क्या आप सोच सकते हैं कि सरकार का कोई ऐसा विभाग भी होगा जहां सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों से ज्यादा माफियाओं की चलती हो जिनके एक इशारो पर फाइलों के आदेश बदल जाते हैं फाइलों में लगे दस्तावेज गायक कर दिए जाते हो और भू माफिया कानूनी दस्तावेज में फरार वांटेड चल रहे हैं लेकिन उनका ठिकाना वही सरकारी विभाग में फैले माफिया राज के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके ऊपर जिम्मेदारी तो शहर के विकास की थी लेकिन इस महक में भ्रष्ट अफसर और कर्मचारियों ने माफियाओं के साथ मिलकर अपना ही विकास ज्यादा किया और महकमा को डूबो कर रख दिया |

फाइल चेक करता हुआ नजर आया वह माफिया  : पड़ताल में एक शख्स फाइल चेक करता हुआ नजर आया इस शख्स का नाम दिलीप सिंह माफिया है जो दिलीप सिंह माफिला जो लखनऊ प्रशासन का घोषित भू -माफिया है, जिसने एलडीए से लेकर ग्राम समाज की जमीनों को कब्जा कर अपनी तिजोरी भर रखी है और सीतापुर हाईवे पर हिमालयन इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग का मालिक भी है दिलीप सिंह बाफिला लखनऊ विकास प्राधिकरण के मुख्यालय में एक तहसीलदार के कमरे में बैठ कर गोपनीय फाइल उलट पलट करता हुआ नजर आया जिन फाइलों में गोपनीय लिखा होता है जिन फाइलों को अनाधिकृत व्यक्त के द्वारा लिखना भी अपराध होता है दिलीप सिंह, बाफिला उन फाइलों को मुआयाना बड़ी आसानी से कर लेता है |

दर्ज है दर्जनों के मुकदमे

दिलीप सिंह बाफिला पर अकेले लखनऊ के छह: थानों गोमती नगर, चिनहट, हजरतगंज, विभूति खंड, मडियाहू, और गोसाईगंज में दो दर्जन से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं दिलीप सिंह बाफिला को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है और यह लखनऊ प्रशासन का घोषित भू माफिया है फाइलों की उलट-पलट से यह तो आप समझ ही गए होंगे कि लखनऊ विकास प्राधिकरण में आखिर विकास किसका हो रहा है लखनऊ शहर का लखनऊ विकास प्राधिकरण का या फिर दिलीप सिंह बाफिला जैसे - भू - माफियाओं का ?

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119 चिन्हित भू माफिया हैदिलीप सिंह बपिला तो एक चेहरा भर है जो बीते सप्ताह एलडीए बीसी अभिषेक प्रकाश की छापेमारी में सामने आ गया लेकिन असल में ऐसे एक दो नहीं पूरे 119 चिंतित भू -माफिया है जिन्होंने एलडीए की जमीनों पर कब्जा कर रखा है दो माह पहले ही तैयार हुए जिला प्रशासन के द्वारा वह माफियाओं की सूची में एलडीए के 119  भू -माफिया चिन्हित हुए इनमें बरेली जेल में बंद माफिया डॉन ओमप्रकाश श्रीवास्तव बबलू, दिलीप सिंह बाफिला, ताराचंद बिष्ट, राम सिंह ,बनवारी यादव ,अजय यादव, सलीम सोहराब, लल्लू यादव, जयकार मिश्रा, सूर्यभान मिश्रा ,फुरकान अहमद अब्बासी ,राजेंद्र सिंह दुआ, राजू बाबू रस्तोगी एहसान उर्फ जीशान , सुफियान उर्फ छोटू ,रशीद बेग ,रवि निगम ,सरदार बृजेंद्र सिंहके नाम भी शामिल है |

लखनऊ को अपने इलाकों में बांट रखा है 

यह वह नाम है जिन्होंने पूरे लखनऊ को अपने इलाकों में बांट रखा है हर आदमी ने अपने इलाके में बेशकीमती जमीनों पर कब्जा कर रखा है और अरबपति हो चुके हैं इतना ही नहीं तमाम किसान संगठन के नाम पर भी भू-माफिया पैदा हो गए हैं जिन्होंने अपने-अपने इलाके में बिल्डरों और आम आदमी का जीना मुहाल कर रखा है वह फिर चाहे गोमती इलाके में सक्रिय किसान यूनियन के नाम वाला सावित्री अच्छा हो आशियां में राजू गुप्ता का गो या फिर भानु सिंह अच्छा कई बार तो इन गुटों के पदाधिकारी में पैसों के बंटवारों को लेकर शहर फुटबॉल भी हो चुकी है लेकिन एलडीए के जिम्मेदार अफसर इन विभाग जनित भू-माफियाओं पर शिकंजा कसने में नाकाम साबित हो रहा है यही वजह है कि आज आम आदमी की जुबान पर एलडीए लखनऊ विकास प्राधिकरण ना होकर लेनदेन प्राधिकरण लखनऊ डुबाव प्राधिकरण बन गया है हालांकि लखनऊ विकास प्राधिकरण की कुर्सी सवाल रहे डीएम अभिषेक प्रकाश का दावा है की कार्यवाही की जा रही है 

वह माफिया और अफसर करोड़पति हो रहे हैं 

लेकिन यह कार्रवाई सरकारी दस्तावेजों में एक पन्ने परपन्नी भर की है अब तक की गई कार्रवाई में मोहनलालगंज मलिहाबाद से लेकर सदर तहसील में वह माफियाओं पर 36 फिरदर्ज कराई गई और उनके कब्जा से 549 करोड़ 17 लाख की कीमत की जमीन मुफ्त भी कराई गई मुफ्त कराई गई इस जमीन की कीमत से आप अंदाजा लगा लीजिए की राजधानी लखनऊ में 36 वह माफियाओं के कब्जे में 500 करोड़ से ज्यादा की बसें कीमती जमीन थी यह तो फिर 119 वो माफियाओं के कब्जे में कितने अरब की जमीन होगी इसी जमीन के कब्जे से वह माफिया और अफसर करोड़पति हो रहे हैं

23000 पहले गायब है,

भू-माफियाओं की लखनऊ विकास प्राधिकरण में पेट का ही नतीजा है कि प्राधिकरण के स्कैनिंग हो गई एक दो नहीं पूरी 23000 फाईले गायब है इसके साथ ही कीमती भूखंडों को रिटायर हो चुके कर्मचारियों के नाम पर वह माफियाओं की मिली भगत से किया गया ट्रांसफर भी लड़ा के भ्रष्टाचार का नमूना है एलडीए के बाबू की लॉगिन आईडी बदलकर किया गया फाइलों से करोड़ों का खेल भी जांच के दायरे में है | 

बेबस नजर आ रहे अधिकारी 

जी लखनऊ विकास प्राधिकरण में एक आम आदमी को रहनेऐसे भूमाफियाओं पर शिकंजा कसने में बेबस नजर आ रहे ई एलडीए और डीएम अभिषेक प्रकाश वह माफियाओं पर कार्यवाही न कर पाने की बेवासी के सवाल को ही गलत बताते हैं 

 

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