आरओ-एआरओ परीक्षा में बाहरी थे आधे कक्ष निरीक्षक
प्रयागराज।समीक्षा (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) प्रारंभिक परीक्षा-2023 में आधे कक्ष निरीक्षक बाहरी थे। नकल पर प्रभावी नियंत्रण के लिए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के प्रस्ताव पर शासन ने इस व्यवस्था को लागू करने के लिए आयोग को विशेष अनुमति दी थी। हालांकि, इस परीक्षा में पेपर लीक विवाद के कारण आयोग के प्रयासों को तगड़ा झटका लगा है।
आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रदेश के 58 जिलों में 2387 केंद्र बनाए गए थे। परीक्षार्थियों की संख्या 10 लाख से ऊपर थी। ऐसे में आयोग के लिए परीक्षा का सफल संचालन सबसे बड़ी चुनौती थी। पेपर लीक और नकल पर नियंत्रण के लिए आयोग ने शासन को कुछ प्रस्ताव भेजे थे, जिनमें परीक्षा के दौरान इंटरनेट सेवा बंद करने और परीक्षा केंद्रों में 50 फीसदी बाहरी कक्ष निरीक्षक तैनात किए जाने का आग्रह किया गया था।
आयोग के सूत्रों का कहना है कि इंटरनेट सेवा बंद करने के लिए तो शासन ने अनुमति नहीं दी, लेकिन बाहरी कक्ष निरीक्षकों की तैनाती का प्रस्ताव मान लिया गया और शासन ने इसके लिए अलग से अनुमति पत्र जारी किया। ऐसे में जिन केंद्रों में परीक्षा हुईं, वहां आधे कक्ष निरीक्षक बाहरी थे और बाकी कक्ष निरीक्षक संबंधित विद्यालय के शिक्षक थे।
नकल पर नियंत्रण को यूपीपीएससी ने लागू की थी नई व्यवस्था
बाहरी कक्ष निरीक्षकों की तैनाती की यह व्यवस्था आयोग की आगामी परीक्षाओं में भी लागू की जा सकती है। हालांकि, आयोग के सामने सबसे बड़ी चुनौती आने वाली परीक्षाओं में प्रश्नपत्रों की सुरक्षा है। इस दिशा में भी आयोग ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। आरओ/एआरओ के बाद अगली बड़ी परीक्षा पीसीएस-2024 की प्रारंभिक परीक्षा है, जो 17 मार्च को प्रस्तावित है।
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