टीजीटी शिक्षक भर्ती : आरक्षित वर्ग को शामिल कर प्रतीक्षा सूची बनाने पर रोक
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेश को दी चुनौती
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने टीजीटी शिक्षक भर्ती के आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) में सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए आरक्षण नियमों का पालन करते हुए नए सिरे से प्रतिक्षा सूची तैयार करने वाले एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने आरक्षित वर्ग के याचियों को आपत्ति दाखिल करने के लिए दो हफ्ते की मोहलत दी है। मामले की सुनवाई 15 मई को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की ओर से हाईकोर्ट की एकल पीठ के उस आदेश को चुनौती देने वाली विशेष अपील पर पारित किया है, जिसमे एकल पीठ ने आपत्ति दाखिल करने के लिए दी दो हफ्ते की मोहलत
आरक्षित वर्ग को योग्यता के आधार सामान्य श्रेणी की सूची में शामिल करते हुए नए सिरे से प्रतिक्षा सूची तैयार करने का आदेश दिया था। यह कहा था कि सामान्य के उम्मीदवार की तुलना में अधिक अंक प्राप्त करने वाले आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार को सामान्य में चयन में प्राथमिकता दी जाएगी। जबकि, आरक्षित में केवल आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों का ही चयन होगा। मामला वर्ष 2021 की सहायक दुर्घटना दावा छह माह में निस्तारित करे न्यायाधिकरण
प्रयागराज। हाईकोर्ट ने अमरोहा के मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण को वर्ष 2019 से लंबित दुर्घटना दावे को छह माह में निस्तारित करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति अजीत कुमार की एकल पीठ ने अमरोहा की याची कुंतेस देवी व तीन अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर अधिवक्ता अभिषेक आहूजा को सुनने के बाद यह फैसला सुनाया।
अध्यापक भर्ती का है। यूपी माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने 12603 पदों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। ओबीसी श्रेणी के लिए जारी कट-ऑफ अन्य उम्मीदवारों के बराबर होने से उन्हें प्रतीक्षा सूची में रखा गया था। इस सूची में आरक्षित श्रेणी से कम अंक पाने वाले सामान्य अभ्यर्थी सबसे ऊपर थे, जबकि ज्यादा अंक बाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को सामान्य के सीटों से वंचित किया जा रहा था।
इसके खिलाफ अखिलेश कुमार व अन्य की ओर से एकल पीठ में याचिका दी गई थी, जिसे एकल पीठ ने स्वीकार किया था। प्रतिक्षा सूची नए सिरे से तैयार करने का आदेश दिया था। इस आदेश को बोर्ड ने हाईकोर्ट की खंडपीठ में चुनौती दी है। बोर्ड के वकील ने तर्क दिया कि सामान्य श्रेणी की रिक्त सीटों के आधार पर प्रतीक्षा सूची तैयार कर नियुक्ति की सिफारिश की गई है। चूंकि सभी सीटें सामान्य की हैं इसलिए इस वर्ग को सूची में शामिल किया गया है। यह भी तर्क दिया कि मुख्य चयन सूची में आरक्षण लागू हो चुका है। एक श्रेणी को दूसरी में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता। एकल पीठ की याचिका में सामान्य के अभ्यर्थियों को प्रतिवादी नहीं बनाया गया था। कोर्ट ने आरक्षित वर्ग के याचियों के वकील उत्कर्ष बिरला को विशेष अपील के विरुद्ध आपत्ति के लिए दो हफ्ते की मोहलत दी है।
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