पुलिस में संवेदनशील-गोपनीय पदों को आउटसोर्सिंग से भरने पर मंथन
एडीजी स्थापना ने सभी शाखाओं के डीजी एवं एडीजी से एक सप्ताह में मांगी राय
कार्य बढ़ने से आउटसोर्सिंग के जरिये लिपिकीय संवर्ग का पुनर्गठन करने की तैयारी
लखनऊ। पुलिस में अति महत्वपूर्ण माने जाने वाले लिपिकीय संवर्ग के पदों को आउटसोर्सिंग के जरिये भरने पर मंथन हो रहा है। इसमें सहायक उपनिरीक्षक (लिपिक), सहायक उपनिरीक्षक (लेखा) और उपनिरीक्षक (गोपनीय) जैसे संवेदनशील कार्य वाले पद शामिल हैं। डीजीपी मुख्यालय की स्थापना शाखा ने सभी शाखाओं के डीजी एवं एडीजी से इस संबंध में एक सप्ताह के भीतर उनकी राय व रिपोर्ट मांगी है। यह पत्र पुलिस बुधवार
एडीजी स्थापना संजय सिंघल ने पत्र को गलत बताया, कहा- लिपिकीय गलती हुई
को तमाम शाखाओं में भेजा गया है। सूत्रों को मानें तो कुछ शाखाओं ने पुलिस के कार्यों की गोपनीयता और संवेदनशीलता को देखते हुए अपनी रिपोर्ट में इसे खारिज कर दिया है।
स्थापना शाखा की पत्र में कहा गया है कि सहायक उपनिरीक्षक (लिपिक), सहायक उपनिरीक्षक (लेखा) के कर्मियों द्वारा कार्यालय में आवंटित कार्य वितरण के अनुसार अलग- अलग प्रकृति के जैसे इंडेक्स, चरित्र पंजिका, रिकॉर्ड कीपिंग, आकिक शाखा में वेतन, टीए आदि कार्य किए जाते हैं। वहीं उपनिरीक्षक (गोपनीय) द्वारा पुलिस अधिकारियों के गोपनीय कार्यालय में पत्राचार आदि कार्य किया जाता है। इन सभी पदों पर सीधी भर्ती के माध्यम से भर्ती किए जाने की व्यवस्था प्रचलित है। पुलिस विभाग के कार्यों में हो रही लगातार वृद्धि के
यह लिपिकीय त्रुटि का मामला प्रतीत होता है। पुलिस में लिपिकीय संवर्ग में सीधी भर्ती होती है। फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

-संजय सिंघल, एडोजी, स्थापना
मद्देनजर लिपिकीय संवर्ग में स्वीकृत पदों के अतिरिक्त वर्तमान में विभाग की तात्कालिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सहायक उपनिरीक्षक (लिपिक), सहायक उपनिरीक्षक (लेखा) एवं उपनिरीक्षक (गोपनीय) के पदों पर आउटसोर्सिंग के माध्यम सेवाएं लेने पर विचार करना प्रस्तावित है।
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