यूपी में शिक्षकों की भर्ती का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में 69 हजार सहायक शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण नियमों का पालन नहीं करने संबंधी विवाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। शीर्ष अदालत में इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसके तहत 69 हजार शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को नई मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ द्वारा 13 अगस्त को आदेश पारित किया गया था। सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ सामान्य वर्ग के चयनित उम्मीदवार द्वारा चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया कि सम्पूर्ण चयन प्रक्रिया पारदर्शी थी |
फैसला रद्द करने की मांग
याचिका में हाईकोर्ट का फैसला रद्द करने की मांग करते हुए कहा गया यदि शिक्षक भर्ती के लिए मेरिट लिस्ट फिर तैयार हुई तो सामान्य वर्ग के हजारों अभ्यर्थियों और उनके परिवारों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ेगा। जो कई साल से सरकार द्वारा जारी मेरिट लिस्ट के आधार पर बतौर शिक्षक सेवा कर रहे हैं।
69000 शिक्षक भर्ती के आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी दो को घेरेंगे मुख्यमंत्री आवास
लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी लगातार धरने पर बैठे हुए हैं। अभ्यर्थियों की मांग है कि प्रदेश सरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के आदेश का पालन करे। जिसके तहत सरकार को भर्ती की नई चयन सूची जारी करनी है।
मगर अधिकारियों के ढीले रवैये के कारण अभी तक चयन सूची जारी नहीं की गई। इससे धरनारत आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों में बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के प्रति भारी आक्रोश है। इसी वजह से ओबीसी, एससी अभ्यर्थियों ने दो सितंबर को मुख्यमंत्री आवास घेरने व महाधरने का आवाहन किया है। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे अमरेन्द्र सिंह पटेल, विजय प्रताप, विक्रम यादव, धनंजय गुप्ता व अन्नू पटेल ने बताया कि ओबीसी, एससी समाज के अनेक संगठनो ने भी उनका समर्थन देने का एलान किया है। वहीं ईको गार्डेन में उनका धरना निरंतर जारी है।
लखनऊ के ईको गार्डेन में धरनारत आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी। संवाद

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