69000 शिक्षक भर्ती में नई सूची से लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने तक पर विचार
मुख्यमंत्री योगी आज बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ करेंगे बैठक
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ द्वारा 69000 शिक्षक भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों की चयन सूची नए सिरे से बनाने के आदेश के बाद बेसिक शिक्षा विभाग में हलचल तेज हो गई है। एक तरफ जहां छुट्टी के दिन शनिवार को बेसिक शिक्षा निदेशालय खोलकर महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने अधिकारियों के साथ बैठक की। वहीं रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद इस मामले में बेसिक शिक्षा विभाग व शासन के प्रमुख अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। सरकार इस मामले में महाधिवक्ता से भी राय लेगी और उसके बाद ही इस मामले में आगे बढ़ेगी।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा की बैठक में एक तरफ जहां इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के बारे में चर्चा हुई, वहीं नई सूची तैयार करने पर भी चर्चा की गई। नई सूची बनने से कितने पहले से नौकरी कर रहे युवा प्रभावित होंगे, यह भी देखा जा रहा है। साथ ही इस मामले में अब तक हुई कार्यवाही का ब्योरा भी जुटाया गया। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री के साथ रविवार को होने महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने विभागीय अधिकारियों के साथ किया मंथन 5000 से ज्यादा के
प्रभावित होने की संभावना प्रथम दृष्टया यह माना जा रहा है कि अगर विभाग दोबारा सूची बनाता है तो 5000 से 6000 नौकरी कर रहे युवा इससे प्रभावित होंगे। क्योंकि इस मामले में सिंगल बेंच में सरकार की ओर से जनवरी 2022 में आरक्षित वर्ग के 6800 प्रभावित अभ्यर्थियों की सूची दी गई थी। हालांकि बाद में सिंगल बेंच ने इसे निरस्त कर दिया था और नई सूची बनाने को कहा था।
वाली बैठक में इसके सभी पक्षों पर चर्चा होगी। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से सीएम के सामने प्रस्तुत करने के लिए प्रेजेंटेशन भी तैयार किया जा रहा है। इसमें आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को राहत देने के साथ-साथ अन्य विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है। क्योंकि अगर पहले से नौकरी कर रहे कुछ युवा प्रभावित होते हैं तो उनके लिए भी सरकार कोई न कोई रास्ता बनाएगी।
शिक्षक भर्ती मामले में कब क्या हुआ
■ पांच दिसंबर 2018 को 69000 शिक्षक भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया परीक्षा छह जनवरी 2019 को आयोजित की गई, जिसमें 4.10 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए। 12 मई 2020 को परिणाम घोषित। 1,46,060 अभ्यर्थी चयनित हुए। अनारक्षित श्रेणी का कटआफ 67.11 प्रतशित, पिछड़ा वर्ग श्रेणी का कटऑफ 66.73 प्रतिशत रहा सात जनवरी 2019 को राज्य सरकार के भर्ती प्रक्रिया में किए गए बदलाव के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। 29 मार्च 2019 को कोर्ट ने राज्य सरकार के बदलाव के आदेश को निरस्त किया। मामले की अपील छह मई 2020 को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में की गई। 18 नवंबर 2020 को मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के छह मई 2020 के आदेश को सही माना। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने भर्ती प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू किया। हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने माना कि आरक्षण एक्ट 1994 का सही ढंग से पालन नहीं किया गया, जिससे आरक्षित वर्ग के 6800 अभ्यर्थी प्रभावित हुए। सरकार ने पांच जनवरी 2022 को आरक्षित वर्ग के 6800 अभ्यर्थियों की सूची प्रकाशित की। 13 अगस्त 2024 को हाईकोर्ट ने चयनित अभ्यर्थियों की सभी सूचियों को रद्द कर नए सिरे से सूची बनाकर भर्ती करने का आदेश दिया।
अभ्यर्थियों के साथ सपा खड़ी रहेगी : अखिलेश लखनऊ। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में
आक्रामक रुख अपनाया है। शिक्षक भर्ती मामले को आरक्षण और संविधान से जोड़कर सियासी रंग देते हुए अखिलेश ने कहा कि किसी भी तरह से संविधान में दिए गए आरक्षण से छेड़खानी नहीं की जा सकती। सपा मुख्यालय में शनिवार को अखिलेश ने कहा कि बच्चों की मांग के साथ नाइंसाफी नहीं होगी और सपा 69 हजार शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अंत तक खड़ी रहेगी। अखिलेश ने कहा कि अभ्यर्थियों को उनका हक मिलेगा। ये आरक्षण की लड़ाई थी। भेदभाव के साथ सूची बनाई गई थी। बच्चों ने बहुत लंबा संघर्ष किया है।
संघर्ष करने वाले पिछड़े व दलित वर्ग के पात्रों की हुई जीत : केशव
लखनऊ। 69000 शिक्षकों के भर्ती को लेकर कोर्ट के फैसले का विपक्ष के साथ ही भाजपा और सहयोगी दलों के पिछड़े नेताओं ने भी स्वागत किया है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अपने एक्स हैंडल पर कोर्ट के फैसला का स्वागत करते हुए लिखा है कि
शिक्षकों की भर्ती में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला सामाजिक न्याय की दिशा में स्वागत योग्य कदम है। यह उन पिछड़ा व दलित वर्ग के पात्रों की जीत है, जिन्होंने अपने अधिकार के लिए लंबा संघर्ष किया। उनका में तहेदिल से स्वागत करता हूं। वहीं, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग के के पूर्व सदस्य कौशलेन्द्र पटेल ने भी कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि शिक्षक भर्ती में आरक्षण के मुद्दे पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के दृष्टिकोण को उच्च्च न्यायालय ने सही माना है। साथ ही उन्होंने इस मामले में शासन को गुमराह करने वाले शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है। सुभासपा के प्रमुख प्रवक्ता अरुण राजभर ने भी कोर्ट के फैसले को पिछड़े समाज के साथ न्याय करार दिया है। उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी 69000 शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण में नियमों की अनदेखी की बात माना था। अब उम्मीद है कि नई सूची में पिछड़ों के हक का ध्यान रखा जाएगा।
69 हजार शिक्षकों के मुद्दे पर कोर्ट के फैसले का पक्ष व विपक्ष ने किया स्वागत आरक्षित वर्ग के पीड़ितों को न्याय मिलना सुनिश्चित हो : मायावती
बपा सुप्रीमो मायावती ने कोर्ट के फैसले को लेकर योगी सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि फैसला ये साबित करता है कि सरकार ने अपना काम निष्पक्षता और ईमानदारी से नहीं किया है। उन्होंने कहा कि यूपी में 2019 में चयनित 69,000 शिक्षक अभ्यार्थियों की चयन सूची को रद्द करके तीन महीने के अन्दर नई सूची बनाने के हाईकोर्ट के फैसले से साबित है कि सरकार ने अपना काम निष्पक्षता व ईमानदारी से नहीं किया है। इस मामले में खासकर आरक्षित वर्ग के पीड़ितों को न्याय मिलना सुनिश्चित हो। अपना दल कमेरावादी की नेता व सपा विधायक डॉ. पल्लवी
पटेल ने एक्स पर कहा कि लंबे समय से चल रहे इस 69000 शिक्षक भर्ती घोटाले के विरुद्ध छात्र-छात्राओं के आंदोलन को देश की न्यायपालिका ने सुखद न्याय दिया है।
आरक्षण विरोधी है भाजपा सरकार कांग्रेस
लखनऊ। कांग्रेस ने भाजपा सरकार को आरक्षण विरोधी बताया है। कहा कि 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में न्याय और संविधान की जीत हुई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि दलित और पिछड़ों के हक के लिए सिर्फ जबानी जमा खर्च करने वाली भाजपा सरकार हर कदम पर उनके साथ छल करती है, इतना ही नहीं भाजपा सरकार दलित और पिछड़ों को उनके जायज हक से महरूम रखने का रखने का हर संभव प्रयास करती है।
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