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69000 शिक्षक भर्ती नई सूची की गयी जारी

69000 शिक्षक भर्ती 2018-19

👉 नई सूची की कवायद शुरू चयनितों के समायोजन पर सबसे ज्यादा माथापच्ची

दोनों पक्ष न हो प्रभावित, इस पर फोकस करके हो रहा काम, नई सूची जारी होने में डेढ़ से दो महीने का लगेगा समय  

लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती में इलाहाबाद हाईकोर्ट के हालिया आदेश के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने नई सूची पर मंथन शुरू कर दिया है। आरक्षण के नियमों के अनुसार सूची को तैयार करने के साथ ही विभाग इस पर ज्यादा माथापच्ची कर रहा है कि नई सूची बनने के बाद नौकरी कर रहे जो अभ्यर्थी प्रभावित होंगे, उनको किस तरह समारोजित किया जाए? सरकार और विभाग इस पर फोकस होकर काम कर रहा है कि दोनों पक्ष प्रभावित न हो। इस कवायद को पूरा करने में डेढ़ से दो महीने का समय लगने की शिक्षक भर्ती में आरक्षण को लेकर चल रहे मामले में हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुरानी सभी सूची को रदृद करते हुए शिक्षक भर्ती की नए सिरे से सूची बनाने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक कर विभाग को हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार कार्यवाही करने के निर्देश दिए। साथ ही यह भी कहा कि किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। बेसिक शिक्षा विभाग ने इस पर तेजी से काम शुरू कर दिया है।

प्रभावितों को कैबिनेट से विशेष प्रस्ताव लाकर कर सकते हैं समायोजित संभावना है।

विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार आरक्षण के नियमों के अनुसार नई सूची बनाने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस बारे में शासन स्तर के साथ-साथ विभाग के स्तर पर भी दो-तीन बैठकें हो चुकी हैं।

नई सूची को नियमानुसार तैयार करने में अपेक्षाकृत ज्यादा दिक्कत नहीं होगी। किंतु इस सूची के बनने के बाद जो 6 7 हजार अभ्यर्थी प्रभावित होंगे, उनको किस तरह समायोजित किया जाएगा, इस पर ज्यादा माथापच्ची हो रही है।

चार साल नौकरी कर चुके इन अभ्यर्थियों को समायोजन के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जाए, इसे लेकर शासन व विभाग के स्तर पर विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। विभाग अलग से अगर कोई भर्ती निकालकर इनको समायोजित करता है तो उसमें भी नियमानुसार आरक्षण देना होगा। ऐसे में विभाग विशेष प्रावधान के तहत कैबिनेट से प्रस्ताव पास कराकर इनको समायोजित करने पर भी विचार कर रहा है। इस प्रक्रिया को पूरा करने में डेढ़ से दो माह का समय लगने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

इसके बाद भी कम नहीं हैं दिक्कतें

विभाग अगर चार साल से नौकरी कर रहे प्रभावित शिक्षकों को फिर से समायोजित करता है तो पहला सवाल यह खड़ा होता है कि क्या इसमें आरक्षण का प्रावधान होगा या नहीं? या इनको कोई वेटेज दिया जाएगा। दूसरा बड़ा सवाल यह भी है कि क्या इन शिक्षकों की वरिष्ठता बनी रहेगी या नए सिरे से उनकी नौकरी शुरू होगी। इतना ही नहीं समायोजित शिक्षकों को फिर से जिलों का आवंटन होगा या यह पूर्व की जगह पर नौकरी करेंगे? इन सवालों के जवाब विभागीय अधिकारी खोजने में लगे हैं। यही वजह है कि पिछले चार साल से चर्चा का केंद्र बनी भर्ती में शासन व विभाग फूंक-फूंककर कदम रख रहा है।

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