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69000 शिक्षक भर्ती का तीसरा विवाद सुलझाएगा सुप्रीम कोर्ट

69000 शिक्षक भर्ती का तीसरा विवाद सुलझाएगा सुप्रीम कोर्ट

सर्वोच्च न्यायालय में आरक्षण मामले की आज होगी सुनवाई, अभ्यर्थियों ने की है याचिका

प्रयागराज। परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में 69000 शिक्षक भर्ती का तीसरा विवाद सुप्रीम कोर्ट सुलझाएगा। आरक्षण की अनदेखी के कारण पूरी चयन सूची संशोधित करने संबंधी हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले के बाद अब सोमवार को इस मामले की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में होगी। खास बात यह है कि शीर्ष अदालत के एक दर्जन से अधिक दिग्गज अधिवक्ता अनारक्षित और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की पैरवी करेंगे। 69000 प्राथमिक शिक्षक भर्ती का यह तीसरा विवाद है जो सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है।

पहला मामला 

69000 शिक्षक भर्ती दिसंबर 2018 में शुरू हुई थी। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की 28 जून 2018 की अधिसूचना के बाद इस भर्ती में बीएड डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को अवसर मिला था। लिखित परीक्षा होने के बाद सरकार ने अनारक्षित वर्ग के लिए 65 एवं आरक्षित वर्ग के 60 फीसदी उत्तीर्ण अंक निर्धारित किया था। इसके विरोध में शिक्षामित्रों ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की थी। एकल पीठ ने स्पष्ट किया था कि परीक्षा के बाद उत्तीर्ण अंक निर्धारित नहीं किया जा सकता है। 68500 शिक्षक भर्ती में 45 एवं 40 फीसदी उत्तीर्ण अंक निर्धारित था, वही 69000 शिक्षक भर्ती के लिए भी रहेगा। एकल पीठ के निर्णय को बीएड एवं बीटीसी अभ्यर्थियों ने डबल में चुनौती दी थी। डबल बेंच ने एकल पीठ के फैसले को निरस्त करते हुए 65 एवं 60 फीसदी उत्तीर्ण अंक को सही ठहराया। जिसके खिलाफ शिक्षामित्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतिम आदेश में सरकार की ओर से निर्धारित 65 एवं 60 फीसदी अंक को बहाल रखा।

दूसरा मामला 

जोधपुर हाईकोर्ट ने प्राथमिक शिक्षक भर्ती में बीएड को मान्य करने के 28 जून 2018 की एनसीटीई की अधिसूचना रद्द कर दी थी। इसके खिलाफ दायर याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2023 को खारिज कर दी। परिणाम स्वरूप उत्तर प्रदेश में भी 69000 शिक्षक भर्ती में नियुक्त बीएड वालों पर संकट के बादल मंडराने लगे। शिक्षामित्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके 69000 भर्ती में नियुक्त बीएड अभ्यर्थियों को बाहर करने की मांग की। जिसके विरोध में बीएड अभ्यर्थियों ने भी सर्वोच्च न्यायालय में याचिकाएं की थी। सुप्रीम कोर्ट ने आठ अप्रैल 2024 के अपने फैसले में स्पष्ट किया कि जिन बीएड अभ्यर्थियों की नियुक्ति 11 अगस्त 2023 के पूर्व हो चुकी है एवं उनको लेकर कोई अन्य विवाद नहीं है तो उनकी नियुक्ति सुरक्षित की जाती है। साथ ही इस फैसले का लाभ 11 अगस्त 2023 के बाद किसी बीएड डिग्रीधरी को नहीं मिलेगा। जिनकी नियुक्ति हो चुकी है उनके लिए एनसीटीई एक वर्ष में ब्रिज कोर्स तैयार करके उनकी परीक्षा कराएगी एवं जो प्रशिक्षण में सफल नहीं होंगे उन्हें बाहर कर। र दिया जाएगा। इस तरह से पूरे देश में 11 अगस्त 2023 के पूर्व प्राथमिक स्कूलों में नियुक्त बीएड अभ्यर्थियों ने राहत की सांस ली थी।

तीसरा मामला 

69000 शिक्षक भर्ती पूरी होने के बाद आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने आरक्षण की विसंगति को लेकर आपत्ति जताई। चयन सूची से असंतुष्ट ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों ने आरक्षण घोटाले का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग पहुंच गए, जहां आयोग ने आरक्षण में त्रुटि की पुष्टि की। इसके बाद विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पांच जनवरी 2022 को बेसिक शिक्षा विभाग ने 6800 आरक्षित वर्ग की सूची जारी जारी करके उन्हें नियुक्त करने का निर्णय लिया। हालांकि

अनारक्षित वर्ग ने आरक्षित वर्ग की 6800 की सूची का विरोध किया एवं उनकी ओर से दायर याचिकाओं के कारण 6800 की सूची पर रोक लग गई। एकल पीठ ने 6800 की सूची को निरस्त करते हुए चयन एवं नियुक्त्ति सूची को पुनरीक्षित करने का मार्च 2023 में आदेश दिया। जिसके बाद यह मामला डबल बेंच में चला गया। डबल बेंच के नए सिरे से चयन सूची बनाने के 16 अगस्त के फैसले के खिलाफ अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका की है जिस पर सोमवार को सुनवाई होनी है।

परिषदीय शिक्षकों की स्तरीय भर्ती है। 69000 भर्ती में यदि हर जिले की अलग अलग चयन सूची एनआईसी ने जारी की होती तो यह विसंगति न होती। राहुल पांडेय, शिक्षक भर्ती के जानकार।

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