दो लाख प्राइमरी शिक्षकों की पदोन्नति जल्द होगी

लखनऊ। प्रदेश के प्राइमरी शिक्षकों की पदोन्नति के लिए नई नीति करीब करीब तय हो चुकी है। बेसिक शिक्षा विभाग इसे शीघ्र ही अन्तिम रूप देकर शासन को भेजने की तैयारी में है। शासन की मुहर लगते ही इसे जारी किया जाएगा। इससे करीब दो लाख शिक्षकों को लाभ होगा। यह पदोन्नति हर तीन साल पर होगी।
नई नीति में प्राइमरी में पदोन्नति पाने वाले शिक्षक उसी स्कूल में प्रधानाध्यापक भी बन सकेंगे, जहां वे तैनात थे। अभी सहायक अध्यापक पद से पदोन्नति के बाद उच्च प्राइमरी में सहायक अध्यापक या दूसरे प्राइमरी स्कूल में प्रधानाध्यापक के पद पर पदोन्नति का प्रावधान है। नई नीति प्रभावी होने के बाद स्कूल शिक्षा महानिदेशालय द्वारा बनाए गए मानकों को पूरा करने वाले उसी स्कूल में प्रधानाध्यापक बन सकेंगे। शिक्षकों की पदोन्नति भी हर तीन साल पर होगी। अभी शिक्षकों को पांच साल के बाद आठ साल से लगाए हैं प्रोन्नति की आस
नेशनल काउन्सिल फॉर टीचर एजुकेशन के दिशा-निर्देशों के तहत किसी भी शिक्षक को पदोन्नति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करना अनिवार्य है। प्रदेश में प्राइमरी के 75 फीसदी से अधिक सहायक अध्यापक टीईटी पास करने के बाद भी बीते आठ सालों से पदोन्नति की आस लगाए बैठे हैं। कुछ शिक्षकों का जब धैर्य जवाब दे गया तो वे हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने जब जवाब तलब किया तो आनन-फानन में जिलों से जानकारियां मंगाई जाने लगीं। हाईकोर्ट को बता दिया गया कि जिलों से सूचनाएं एकत्र की जा रही हैं। जल्द ही इस बारे में कोर्ट को अवगत करा दिया जाएगा।
प्रोन्नति मिलती है। हालांकि वर्ष 2016 के बाद से विभाग में शिक्षकों की कोई पदोन्नति नहीं हुई है। तीन साल पर पदोन्नति की नीति-2015 से पूर्व भी रही है, जिसे बाद में सरकार ने पांच साल में तब्दील कर दिया था।
अगले हफ्ते नई बिजली दरें घोषित कर सकता है आयोग
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग अगले एक सप्ताह में नई बिजली दरें घोषित कर सकता है।
उपभोक्ता परिषद ने एक बार फिर से बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के निकल रहे 33,122 करोड़ रुपये के एवज में बिजली दरें कम करने की मांग की है। उन्होंने ऊर्जा मंत्री से मांग की कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा-108 में बिजली दरों में कमी का निर्णय लें।
ऐसा कर सरकार 3.45 करोड़ उपभोक्ताओं को बड़ी राहत पहुंचा सकती है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने रविवार को जारी बयान में कहा है कि ऐसा कोई कानून नहीं है तो उपभोक्ताओं की सरप्लस धनराशि बिजली कंपनियों पर निकलने की स्थिति में बिजली दरों में बढ़ोतरी की इजाजत दे। बिजली दरों के साथ ही नियामक आयोग बिजली कंपनियों के सालाना खर्चे (वार्षिक राजस्व आवश्यक्ता) पर भी इसी सप्ताह फैसला सुनाएगा। बिजली दरों पर फैसले की समय सीमा इसी सप्ताह पूरी हो रही है।
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