पांच फीसदी स्कूलों में प्रैक्टिकल की होगी जांच|

प्रयागराज। यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट की प्रयोगात्मक परीक्षाएं एक फरवरी से शुरू होंगी। यूपी बोर्ड की ओर से प्रत्येक जिले के पांच फीसदी विद्यालयों में प्रयोगात्मक परीक्षा की औचक जांच कराई जाएगी।
इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी मिलने पर संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को प्रयोगात्मक परीक्षा से संबंधित दिशा-निर्देश भेजे हैं।
■ किसी प्रकार की गड़बड़ी मिलने पर की जाएगी सख्त कार्रवाई
■ विद्यालय में संसाधन न होने पर दूसरे स्कूल में होगी परीक्षा
लिखा है कि प्रयोगात्मक परीक्षा के लिए विद्यालय में प्रयोगशाला, आवश्यक उपकरण एवं सामग्री का अभाव होने पर किसी दूसरे निकटतम संसाधनयुक्त विद्यालय में प्रयोगात्मक परीक्षाएं कराई जाए और इसकी सूचना समय से संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को भी दी जाए। राजकीय विद्यालय में संसाधनों के अभाव के लिए डीआईओएस स्वयं जिम्मेदार होंगे।
सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में संसाधनों की कमी होने पर डीआईओएस संबंधित विद्यालय के प्रबंधक व प्रधानाचार्य के विरुद्ध सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे। वित्तविहीन विद्यालयों में यह स्थिति आने पर पर विद्यालय की मान्यता वापस निरस्त कर दी जाएगी। इंटर की प्रयोगात्मक परीक्षाएं प्रथम चरण में एक से आठ फरवरी और दूसरे चरण में नौ से 16 फरवरी तक कराई जाएगी।
सचिव ने वॉयस रिकॉर्डर युक्त सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में ही प्रयोगात्मक परीक्षाएं कराने के निर्देश दिए हैं। वाह्य परीक्षकों को मोबाइल ऐप के उपयोग से जिओ लाकेशनयुक्त बच्चों के ग्रुप फोटो और उसी दिन पोर्टल पर अंक अपलोड करने होंगे। आंतरिक परीक्षकों को भी अपने विद्यालय की लॉग-इन आईडी से यूपी बोर्ड की वेबसाइट पर प्रयोगात्मक परीक्षा के अंक उसी दिन अनिवार्य रूप से अपलोड करने होंगे। प्रयोगात्मक परीक्षा के पर्यवेक्षण के लिए सेक्टर मजिस्ट्रेट भी नियुक्त किए जाएंगे।
सीएमओ का प्रमाणपत्र पेश करने पर ही मिलेगी छुट्टी
प्रयागराज 124 फरवरी से प्रस्तावित 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षा के लिए यूपी बोर्ड ने शिक्षकों व प्रधानाचार्यों की ड्यूटी लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यूपी बोर्ड ने हर साल की तरह साफ किया है कि उन्हीं शिक्षकों और प्रधानाचार्यों को चिकित्सकीय अवकाश मिलेगा जो मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करेंगे।
सचिव भगवती सिंह की ओर से जारी पत्र में लिखा है कि बोर्ड परीक्षा में प्रायः यह देखा गया है कि कुछ प्रधानाचार्य व अध्यापक केंद्र व्यवस्थापक एवं कक्ष निरीक्षक का कार्य नहीं करना चाहते हैं और अस्वस्थता प्रमाणपत्र प्रस्तुत कर छुट्टी ले लेते हैं। इससे जिला विद्यालय निरीक्षक को परीक्षा केंद्रों पर केंद्र व्यस्थापक व कक्ष निरीक्षकों की नियुक्ति में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
बोर्ड परीक्षाओं के सफल संचालन के मद्देनजर यह तय किया गया है कि परीक्षा शुरू होने से पूर्व जो प्रधानाचार्य, अध्यापक, कर्मचारी चिकित्सकीय
■ बोर्ड के सचिव ने परीक्षा के लिए दिए निर्देश
■ शिक्षकों की ड्यूटी लगाने की प्रक्रिया शुरू
अवकाश के लिए आवेदन करें, उन्हें जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी के पास उनकी अस्वस्थता की पुष्टि कराने और चिकित्सा आवेदन पत्र को प्रत्ति हस्ताक्षरित कराने के लिए भेजा जाए। सीएमओ की ओर से जारी प्रमाणपत्र के आधार पर ही चिकित्सकीय अवकाश स्वीकृत किया जाए।
सचिव ने सभी सीएमओ से अनुरोध किया है कि बोर्ड परीक्षा शुरू होने के पूर्व यदि कोई प्रधानाचार्य, अध्यापक, कर्मचारी अस्वस्थता प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करता है, तो संबंधित कार्मिक को प्रमाणपत्र जारी करने से पहले उसका सम्यक परीक्षण कर लिया जाए कि चिकित्सकीय अस्वस्थता प्रमाण पत्र देना आवश्यक है या नहीं, क्योंकि परीक्षा का कार्य अत्यंत आवश्यक एवं समयबद्ध है।
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