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महाकुम्भः आध्यात्मिक सामाजिक, आर्थिक प्रभाव का करेंगे आकलन

महाकुम्भः आध्यात्मिक सामाजिक, आर्थिक प्रभाव का करेंगे आकलन

महाकुम्भ नगर। महाकुम्भ मेला की समृद्ध परंपरा, उसके मूर्त व अमूर्त प्रभाव पर शोध के लिए गोविंद बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान, झुंसी के कुम्भ अध्ययन केंद्र को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग लखनऊ ने प्रोजेक्ट दिया है। संस्थान की टीम महाकुम्भ के आध्यात्मिक, सामाजिक-आर्थिक प्रभाव का आकलन करेगी। सबसे बड़े मानव समागम के रूप में कुम्भ मेला जिस सहिष्णुता और समावेशिता का प्रदर्शन करता है, वह समकालीन दुनिया के लिए बेहद मूल्यवान है।

संस्थान के निदेशक प्रो. बद्री नारायण और डॉ. अर्चना सिंह के निर्देशन में यह शोध महाकुम्भ का विस्तृत दस्तावेजीकरण करेगा, जिससे ये समझा जा सके कि महाकुम्भ में सामाजिक समरसता व समावेशन कैसे प्रतिबिंबित होती है? कैसे परंपराओं में समय और तकनीक के साथ सातत्य व परिवर्तन एकसाथ चल रहे हैं? कैसे मेला इन सांस्कृतिक परंपराओं को सहेजता है और कैसे इन्हें समाज में हस्तांतरित करता है? मेला कैसे समुदायों को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और सामाजिक व आर्थिक रूप से सशक्त बनाता है।

प्रो. बद्री नारायण और डॉ. अर्चना सिंह के निर्देशन में होगा शोध
■ महाकुम्भ का विस्तृत दस्तावेजीकरण करेंगे, सरकार ने दिया प्रोजेक्ट

यह परियोजना इस प्रभाव को समझने के लिए मूर्त व अमूर्त परंपराओं का दस्तावेजीकरण और बेहतर प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशें प्रदान करेगी। साथ ही मेले का पर्यटन, व्यापार और रोजगार सृजन का व्यवसायियों, स्थानीय अर्थव्यवस्था और कामगारों पर पड़ने वाले प्रभाव का भी अध्यनन किया जाएगा। मेले में परिवहन, स्वच्छता और आवास को सभी के लिए उपलब्ध, प्राप्य और सुलभ बनाने के प्रशासनिक प्रयासों का भी आकलन करेंगे। यह शोध शोधकर्ताओं, अकादमीशियन छात्र-छात्राओं, संस्कृतिकर्मी, पत्रकारों, सरकारी निकायों, कार्यक्रम आयोजकों और समुदायों के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा। साथ ही एक समृद्ध डाटा बेस तैयार करेगा, जिससे महाकुम्भ की परंपरा, सामाजिक व अकादमिक विमर्श को लगातार समृद्ध करता रहे।

सर्दी से राहत नहीं कोहरा बना काल

कई जगह वाहन भिड़े, दो दिन ऐसे ही मौसम का अनुमान

नई दिल्ली/ लखनऊ। उत्तर भारत में जारी शीत लहर के बीच सर्द मौसम ने बुधवार को यूपी के अधिकांश हिस्सों को चपेट में ले लिया। छह डिग्री न्यूनतम पारे के साथ बलरामपुर की रात सबसे ठंडी रही। लखनऊ समेत 12 जिलों में बेहद घना कोहरा छाने से दृश्यता शून्य से 100 मीटर के बीच रह गई। वहीं, 29 जिलों में दिन का तापमान 20 डिग्री से नीचे रहा। मौसम विभाग ने गुरुवार को पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में तेज हवा के साथ हल्की बारिश का अलर्ट जारी किया है। कहीं-कहीं पर बिजली भी गिरने की चेतावनी है।

कोहरे के कारण बरेली में हुए दो सड़क हादसों में दो लोगों की मौत हो गई। अलीगढ़ में आगरा-दिल्ली एक्सप्रेस वे पर घने कोहरे के कारण बुधवार र की सुबह कई वाहन आपस में टकरा गए, जिसमें तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए जबकि 100 से अधिक बकरियों की मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि करीब 200 से अधिक बकरियां ले जा रहा एक ट्रक भी इस हादसे का शिकार बना। मुजफ्फरनगर में इसी तरह की एक अन्य घटना में, दिल्ली-देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग पर जनसठ फ्लाईओवर के पास कोहरे के कारण 15 से अधिक वाहनों के भिड़ने से एक ट्रक चालक सहित दो लोग घायल हो गए।

घने कोहरे के कारण बीते 24 घंटों के दौरान मेरठ में दृश्यता शून्य तक पहुंच गई। यहां न्यूनतम पारा 7.5 व अधिकतम 13.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। कानपुर आईएएफ केन्द्र में दृश्यता शून्य दर्ज की गई। नजीबाबाद, शाहजहांपुर, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद में घने कोहरे के बीच दृश्यता 50 मीटर रही। अमौसी स्थित मौसम केन्द्र के

अनुसार सूबे में सबसे सर्द दिन हरदोई में रहा। यहां अधिकतम तापमान 13 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

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