प्रश्नपत्र की सुरक्षा से एक एआइ एजेंसी पीछे हटी, अब एक मैदान में

प्रयागराज : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा-2025 के प्रश्नपत्रों की निगरानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) से कराने के लिए आवेदन लेने की प्रक्रिया अंतिम रूप से बुधवार को पूर्ण हो गई। इसी के साथ शाम को टेंडर खोला गया तो एकमात्र आवेदन मिला। दूसरे टेंडर में आवेदन करने वाली एक एजेंसी/फर्म ने तीसरे टेंडर में आवेदन नहीं किया। इस तरह एआइ व्यवस्था संचालित करने वाली एकमात्र एजेंसी का आवेदन तकनीकी रूप से मानक के अनुरूप मिला है। अब कार्य आदेश जारी करने के लिए यूपी बोर्ड शासन से अनुमति मांगेगा।
यूपी वोर्ड के तीसरे टेंडर में दूसरे टेंडर की एक एजेंसी ने नहीं किया आवेदन
• तीन टेंडर के बाद एकमात्र आवेदन के क्रम में वोर्ड शासन से मांगेगा अनुमति
यूपी बोर्ड की परीक्षाएं 24 फरवरी से प्रारंभ होनी हैं। परीक्षा के लिए प्रदेश भर में कुल 8140 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। इन केंद्रों पर प्रश्नपत्रों की सुरक्षा पहली बार एआइ से कराने की योजना यूपी बोर्ड सचिव भगवती ने बनाई है। इसके लिए टेंडर निकालकर एआइ व्यवस्था संचालित करने वाली एजेंसियों से आवेदन लिए गए। नियमानुसार तीन से कम आवेदन आने पर बोर्ड ने तीन बार टेंडर निकाले। तीसरी बार के टेंडर में एकमात्र आवेदन उसी एजेंसी का मिला जो पिछले दो टेंडरों में आवेदन करती रही। ऐसे में अब नियमावली के अनुसार यूपी बोर्ड आवेदन करने वाली एजेंसी को कार्य आवंटन के लिए शासन से अनुमति मांगेगा। शासन से अनुमति मिलने पर कार्य आदेश जारी किया जाएगा, ताकि एजेंसी सभी केंद्रों, यूपी बोर्ड मुख्यालय प्रयागराज एवं शिविर कार्यालय लखनऊ में राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम स्थापित कर एआइ से निगरानी के लिए नेटवर्किंग कार्य समय से पूर्ण कर सके।
महाकुम्भः आध्यात्मिक सामाजिक, आर्थिक प्रभाव का करेंगे आकलन
महाकुम्भ मेला की समृद्ध परंपरा, उसके मूर्त व अमूर्त प्रभाव पर शोध के लिए गोविंद बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान, झुंसी के कुम्भ अध्ययन केंद्र को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग लखनऊ ने प्रोजेक्ट दिया है। संस्थान की टीम महाकुम्भ के आध्यात्मिक, सामाजिक-आर्थिक प्रभाव का आकलन करेगी। सबसे बड़े मानव समागम के रूप में कुम्भ मेला जिस सहिष्णुता और समावेशिता का प्रदर्शन करता है, वह समकालीन दुनिया के लिए बेहद मूल्यवान है।
संस्थान के निदेशक प्रो. बद्री नारायण और डॉ. अर्चना सिंह के निर्देशन में यह शोध महाकुम्भ का विस्तृत दस्तावेजीकरण करेगा, जिससे ये समझा जा सके कि महाकुम्भ में सामाजिक समरसता व समावेशन कैसे प्रतिबिंबित होती है? कैसे परंपराओं में समय और तकनीक के साथ सातत्य व परिवर्तन एकसाथ चल रहे हैं? कैसे मेला इन सांस्कृतिक परंपराओं को सहेजता है और कैसे इन्हें समाज में हस्तांतरित करता है? मेला कैसे समुदायों को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और सामाजिक व आर्थिक रूप से सशक्त बनाता है।
■ प्रो. बद्री नारायण और डॉ. अर्चना सिंह के निर्देशन में होगा शोध
■ महाकुम्भ का विस्तृत दस्तावेजीकरण करेंगे, सरकार ने दिया प्रोजेक्ट
यह परियोजना इस प्रभाव को समझने के लिए मूर्त व अमूर्त परंपराओं का दस्तावेजीकरण और बेहतर प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशें प्रदान करेगी। साथ ही मेले का पर्यटन, व्यापार और रोजगार सृजन का व्यवसायियों, स्थानीय अर्थव्यवस्था और कामगारों पर पड़ने वाले प्रभाव का भी अध्यनन किया जाएगा। मेले में परिवहन, स्वच्छता और आवास को सभी के लिए उपलब्ध, प्राप्य और सुलभ बनाने के प्रशासनिक प्रयासों का भी आकलन करेंगे। यह शोध शोधकर्ताओं, अकादमीशियन छात्र-छात्राओं, संस्कृतिकर्मी, पत्रकारों, सरकारी निकायों, कार्यक्रम आयोजकों और समुदायों के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा। साथ ही एक समृद्ध डाटा बेस तैयार करेगा, जिससे महाकुम्भ की परंपरा, सामाजिक व अकादमिक विमर्श को लगातार समृद्ध करता रहे।
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