आईईआरटी के 34 छात्रों को मिला 4.75 लाख का पैकेज

प्रयागराज। आईईआरटी संस्थान के डिप्लोमा छात्रों के लिए कैंपस साक्षात्कार का आयोजन किया गया। साक्षात्कार के बाद मारुति सुजुकी कंपनी के द्वारा 34 छात्र डिप्लोमा मैकेनिकल इंजीनियरिंग के चार लाख 75 हजार रुपए प्रति वर्ष के पैकेज पर चयनित किए गए।
छात्रों में अभिनाश, अभिषेक गुप्ता, आंशी मौर्या, आयुष तिवारी, ज्ञानदीप कुशवाहा, मनीश सिंह, मो. सुफियान, राघवेंद्र पांडेय, रोहित कुमार यादव और श्वाती पटेल का ऑटो मोबाइल ब्रांच में चयन हुआ है।
वहीं अरविंद गोंड, रितेश सिंह, शरद त्रिपाठी, सुमित गुप्ता, तन्नू
यादव, अभिनीत चौधरी, रितेश प्रजापति, सौरभ राय, स्वतंत्र मौर्य, विश्वजीत निषाद, अभिषेक भारती, आदर्श, दिलीप चौहान, नीरज यादव, निलेश दुबे, प्रकाश भारतीय, सागर सिंह, स्वीटी, उत्कर्ष सिंह, अमित मौर्य, देव कुमार, गुलशन यादव और लवकुश यादव का मैकेनिकल इंजीनियरिंग में चयन हुआ है।
संस्थान के निदेशक डॉ. विमल मिश्रा, प्रशिक्षण व सेवा योजना अधिकारी संजीव प्रताप सिंह और डीन उमाशंकर वर्मा ने छात्रों के उज्जवल भविष्य की कामना की। छात्र संयोजक अवनीश कुमार , शुभम गुप्ता व शौर्य प्रताप सिंह ने अतिथियों को कैंपस चयन में सहयोग प्रदान किया।
आरटीई : प्रवेश दिए बगैर ही कागज पर दिखाए दाखिले, भटक रहे अभिभावक
लखनऊ। प्रदेश में निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा अधिनियम (आरटीई) के तहत दाखिले के लिए चार चरणों के आवेदन हो चुके हैं। यह कवायद की जा रही है कि एक अप्रैल से शुरू होने वाले सत्र से पहले सीट पाने वाले बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित कराया जाए। किंतु जिलों में इसे लेकर लापरवाही दिख रही है।
दरअसल, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के कुछ बच्चों को प्रवेश नहीं मिला। जब इसकी शिकायत एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस) पर की गई तो उनका प्रवेश दिखा दिया गया।
निदेशालय का चक्कर काट रहे अभिभावक ने बताया कि एक निजी
स्कूल प्रवेश लेने से कर रहा मना, आईजीआरएस पर की गई शिकायत
स्कूल में प्रवेश के लिए बच्चे का आवेदन किया था लेकिन स्कूल दाखिला लेने से मना कर रहा है। जब इसकी शिकायत आईजीआरएस की तो बच्चे का प्रवेश हुआ दिखा दिया। उन्होंने दोबारा शिकायत की और अधिकारियों से मिलकर बच्चे को प्रवेश दिलाने की मांग कर रहे हैं। ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं।
आरटीई में निजी कॉलेजों द्वारा सीट अलॉट होने के बाद भी प्रवेश न लेने की भी शिकायत विभाग को मिल रही है। पर, विभाग व जिला स्तरीय अधिकारी कोई सख्ती नहीं कर पा रहे हैं। इससे निजी स्कूलों की मनमानी चल रही है। तीन चरणों की पूरी प्रक्रिया होने के बावजूद यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि अब तक कितने बच्चों के दाखिले सुनिश्चित हुए हैं।
बीएसए बताएंगे प्रवेश न मिलने के कारण
समग्र शिक्षा के उप निदेशक डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि आरटीई में ज्यादा से ज्यादा दाखिले के लिए डीएम व बीएसए के स्तर से प्रयास किए जा रहे हैं। जहां यह सूचना जानकारी मिलती है कि कोई स्कूल प्रवेश नहीं ले रहा है तो वहां स्थानीय अधिकारी वार्ता कर रहे हैं। इस बार यह व्यवस्था की गई है कि अगर सीट अलॉटमेंट के बाद भी बच्चे का प्रवेश नहीं हो रहा है तो संबंधित बीएसए को इसका कारण बताना होगा।
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