आयकर रिटर्न में सुधार करने की अंतिम तिथि नजदीक आई

आयकर विभाग समय-समय पर करदाताओं के लिए विभिन्न सुविधाएं प्रदान करता है, जिनमें से एक अपडेटेड रिटर्न (आईटीआर-यू) भरने की सुविधा है। यदि कोई व्यक्ति समय पर अपना रिटर्न दाखिल नहीं कर पाया या रिटर्न में कोई गलती हो गई, तो वह अपडेटेड रिटर्न के माध्यम से सुधार कर सकता है। जिन करदाताओं ने 31 दिसंबर 2024 तक भी संशोधित रिटर्न दाखिल नहीं की थी, उनके पास अब 31 मार्च 2025 तक इसे दाखिल करने का अंतिम मौका है।
क्या है आईटीआर-यू इसका मतलब होता है किसी भी
आकलन वर्ष के लिए 31 जुलाई तक भरे गए आयकर रिटर्न में संशोधन करके उसे फिर से दाखिल करना। इसे वैसे इसे दाखिल करने की अंतिम तिथि किसी भी वित्त में 31 दिसंबर होती है लेकिन कुछ मामलों में जुर्माना चुकाकर इसे उसी वित्त वर्ष में 31 मार्च तक भरा जा सकता है। हालांकि, सरकार ने यहां भी करदाताओं को राहत दे रखी है। वित्त विधेयक-2022 के तहत करदाताओं को यह सहूलियत गई दी कि वे दो साल के अंदर अपने दाखिल किए गए आईटीआर को संशोधित कर दोबारा दाखिल कर सकते हैं। उदाहरण के लिए यदि कोई करदाता आकलन वर्ष 2022-23 के लिए रिटर्न को संशोधित करना चाहता है तो उसे 31 मार्च 2025 इसे दाखिल करना होगा। हालांकि, उसे इसके लिए अतिरिक्त कर या जुर्माने का भुगतान करना पड़ सकता है।
ऐसे करदाता भी कर सकते हैं
दाखिलः संशोधित आयकर रिटर्न को ऐसे करदाता भी दाखिल कर सकते हैं, जो तय समय पर इसे नहीं पाए हैं। आयकर नियमों के तहत आकलन वर्ष खत्म होने से 24 महीने के भीतर ऐसे करदाता अपडेटेड आईटीआर दाखिल कर सकते हैं। उदाहरण के लिए जिन करदाताओं ने आकलन वर्ष 2023-2024 के लिए रिटर्न दाखिल नहीं किया है तो वे इसे 31 मार्च 2026 तक दाखिल कर सकते हैं। इसी तरह जिन करदाताओं ने आकलन वर्ष 2022-23 के लिए रिटर्न नहीं दाखिल की है, उनके पास अब 31 मार्च 2025 तक इसे दाखिल करने का अंतिम मौका है।
संशोधित और विलंबित आयकर रिटर्न में अंतर समझें
संशोधित रिटर्न
■ एक करदाता आकलन वर्ष की 31 दिसंबर तक संशोधित रिटर्न दाखिल कर सकता है। हालांकि, यदि करदाता अतिरिक्त आय का खुलासा करना चाहता है, तो वह यह रिटर्न दाखिल कर सकता है।
■ इसकी समय सीमा आकलन वर्ष की समाप्ति से 24 महीने के भीतर होती है। इसके लिए अतिरिक्त कर का भुगतान करना आवश्यक है।
इसके अलावा जो करदाता विलंबित रिटर्न भरने से भी चूक जाते हैं, वे भी अपडेटेड रिटर्न 24 माह के भीतर दाखिल कर सकते हैं। हालांकि, उन्हें जुर्माना चुकाना पड़ेगा।
■ इस आयकर रिटर्न को पहली बार 2022 में पेश किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य करदाताओं को अपनी अतिरिक्त आय का खुलासा करने के लिए अवसर देना है।
विलंबित रिटर्न
■ किसी भी आकलन वर्ष के लिए आईटीआर दाखिल करने की समय सीमा 31 जुलाई होती है। यदि करदाता इस तय समय में रिटर्न नहीं भर पाता तो उसे विलंबित रिटर्न दाखिल करनी होती है।
विलंबित 31 दिसंबर तक दाखिल करनी होती है। अगर करदाता इसमें भी चूक जाए तो उसे दो साल तक मौका मिलता है।
विलंबित रिटर्न दाखिल करने पर ब्याज और जुर्माना लगता है।
■ यदि करदाता की वार्षिक आय 5 लाख रुपये से अधिक है तो 5,000 रुपये तक का जुर्माना लगेगा। यदि 5 लाख रुपये से कम आय होने पर जुर्माना केवल 1,000 रुपये होगा।
अगर कर अदायगी बनती है तो एक प्रतिशत प्रति माह के हिसाब से ब्याज देना होगा।
इन गलतियों से बचें
1. विलंबित आईटीआर दाखिल करने पर पुरानी कर व्यवस्था का लाभ नहीं मिलेगा, इसलिए नई कर व्यवस्था के तहत ही इसे दाखिल करें।
2. देय आयकर की गणना नई व्यवस्था के मुताबिक ही करें। गलत गणना पर नोटिस मिल सकता है।
3. तय तिथि तक आईटीआर जमा करने से रिफंड पर ब्याज मिलता है। विलंबित आईटीआर में इसका दावा न करें।
4. विलंबित आईटीआर में नुकसान का समायोजन (कैरी फॉरवर्ड) करने से बचें। इसकी अनुमति नहीं है।
5. अगर किसी तरह की कर देनदारी बन रही है तो 31 दिसंबर तक आईटीआर-यू दाखिल करें। वरना जुर्माना और कैद दोनों हो सकते हैं।
इन मामलों में भर सकते हैं
1. यदि पहले रिटर्न दाखिल नहीं किया था।
2. करदाता ने कम आय दिखाई थी।
3. कर कटौती का गलत लाभ लिया था।
4. अधिक रिफंड का दावा किया था।
5. कोई अतिरिक्त आय छुपाई थी
इन मामलों में नहीं भर सकते
1. अगर करदाता के खिलाफ आयकर विभाग की जांच, छापेमारी या सर्वे चल रहा है।
2. कर चोरी के इरादे से आय छुपाई थी।
3. अपडेटेड रिटर्न के जरिए टैक्स देनदारी घटाने का प्रयास किया है।
4. पहले से टैक्स रिफंड क्लेम कर लिया है और अब उसमें बदलाव करना चाहते हैं।
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