माध्यमिक शिक्षक भर्ती के परीक्षा प्रारूप में विसंगति, हो सकता है बदलाव

प्रयागराज। माध्यमिक शिक्षा विभाग में शिक्षक भर्ती के लिए अर्हता को लेकर एक समान नियमावली तो लागू कर दी गई, लेकिन परीक्षा प्रारूप में विसंगति बनी हुई है। भर्ती परीक्षा के एक समान प्रारूप को लेकर आगामी भर्तियों में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं।
राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में एलटी ग्रेड शिक्षक (सहायक अध्यापक) भर्ती केवल एक लिखित परीक्षा के आधार पर की जाती थी, लेकिन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) अब परीक्षा प्रारूप में बदलाव करने जा रहा है। आयोग प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के माध्यम से एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती करेगा। नई भर्ती के लिए आयोग को 8905 रिक्त पदों का अधियाचन भी मिल चुका है।
वहीं, यूपीपीएससी ने राजकीय विद्यालयों में प्रवक्ता भर्ती पिछली बार प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के माध्यम से कराई थी। इस बार भी प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के माध्यम से भर्ती होगी, जिसके लिए आयोग को 1647 पदों का अधियाचन मिल चुका है।
दूसरी ओर, अशासकीय कहीं एक तो कहीं दो चरणों की परीक्षा के माध्यम से अभ्यर्थियों के चयन पर सवाल विद्यालयों में सहायक अध्यापक (टीजीटी) व प्रवक्ता (पीजीटी) भर्ती परीक्षा का प्रारूप राजकीय विद्यालयों की भर्ती परीक्षा से भिन्न है। अशासकीय विद्यालयों टीजीटी भर्ती केवल एक लिखित परीक्षा के माध्यम से होती है। वहीं, पीजीटी भर्ती में लिखित परीक्षा व इंटरव्यू होता है।
सवाल उठ रहे हैं कि जब राजकीय और अशासकीय विद्यालयों का पाठ्यक्रम और इन विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का वेतन एक समान है तो उनकी योग्यता के आकलन करने के लिए भर्ती परीक्षा का प्रारूप अलग-अलग क्यों है? पहले दोनों प्रकार के विद्यालयों की शिक्षक भर्ती की अर्हताएं भी अलग-अलग थीं।
इस विसंगति को दूर करने के लिए अब दोनों राजकीय व अशासकीय विद्यालयों में अर्हता को लेकर एक समान नियमावली लागू कर दी गई है।
शिक्षकों की योग्यता तय होने तक मदरसों में नई भर्ती नहीं
सुप्रीम कोर्ट से कामिल व फाजिल की डिग्री असांविधानिक होने पर शासन ने लगाई रोक
लखनऊ। मदरसों में शिक्षकों की अब नए सिरे से योग्यता तय की जाएगी। योग्यता तय होने तक मदरसों में शिक्षकों की नई नियुक्ति नहीं हो सकेगी। शासन ने शिक्षकों की नई भर्ती पर रोक लगा दी है।
उप्र. मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त प्रदेश में तहतानिया (कक्षा 1 से 5), फौकानिया (कक्षा 5 से 8) और आलिया (हाई स्कूल या इससे ऊपर) के करीब 16460 मदरसे हैं। इनमें सरकार से आर्थिक सहायता प्राप्त 560 मदरसे हैं। इन मदरसों में मुंशी-मौलवी (हाईस्कूल), आलिम (इंटर) की शिक्षा दी जा रही है। मदरसा बोर्ड की कामिल और फाजिल की डिग्री की यूजीसी से मान्यता न होने से सुप्रीम कोर्ट ने इन डिग्रियों को असांविधानिक घोषित कर दिया था।
कार्यरत शिक्षकों को करेंगे प्रशिक्षित
अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक अंकित कुमार अग्रवाल ने बताया कि मदरसों में कार्यरत शिक्षक नए आदेश से प्रभावित नही होंगे। इन शिक्षकों का तहतानिया और फौकानिया में उपयोग किया जाएगा। कार्यरत शिक्षकों की विषयवार योग्यता को चिह्नित कर उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्हें आधुनिक विषयों से जोड़ने के लिए ब्रिज कोर्स कराया जाएगा।
नई शिक्षा नीति के मुताबिक तय होगा पाठ्यक्रम
शिक्षकों की योग्यता के निर्धारण और पाठ्यक्रम तय करने के लिए अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक की अध्यक्षता में शासन स्तर पर कमेटी बनेगी। अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक ने बताया कि कमेटी योग्यता निर्धारित करने के साथ ही नई शिक्षा नीति के आधार पर पाठ्यक्रम के लिए अनिवार्य आधुनिक विषय तय करेगी।
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