प्रदेश में 1.86 लाख शिक्षक टीईटी उत्तीर्ण नहीं

लखनऊः प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में करीब 1.86 लाख शिक्षक ऐसे हैं जिन्होंने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण नहीं की है। कक्षा एक से आठवीं तक पढ़ाने वाले इन शिक्षकों के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक सितंबर के आदेश के बाद चुनौती खड़ी हो गई है। आदेश के चलते शिक्षकों की पदोन्नति की प्रक्रिया भी रुक गई है। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर बेसिक शिक्षा विभाग ने 16 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। अब सभी की निगाहें कोर्ट और केंद्र सरकार के रुख पर टिकी हैं।
परिषदीय विद्यालयों में वर्तमान में 4,59,490 शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें से 1.86 लाख शिक्षक 2010 से पहले नियुक्त हुए थे और उन्होंने टीईटी उत्तीर्ण नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार पांच साल से अधिक सेवा वाले शिक्षकों को दो वर्ष के भीतर टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य है। पदोन्नति में भी यह शर्त लागू रहेगी। हालांकि प्रदेश सरकार चाहती है कि 2010 में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों की सेवाएं सुरक्षित रहें, भले ही उन्होंने टीईटी उत्तीर्ण न किया हो। इसी कारण विभाग के अधिकारी कानूनी विशेषज्ञों से लगातार सलाह ले रहे हैं। वहीं, टीईटी की अनिवार्यता को लेकर शिक्षकों में बेचैनी है। कई शिक्षक विरोध स्वरूप कालीपट्टी बांधकर पढ़ा रहे हैं। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन ने केंद्र सरकार की चुप्पी पर नाराजगी जताई है। एसोसिएशन की वरिष्ठ उपाध्यक्ष शालिनी मिश्रा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आरटीई एक्ट और 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना से पहले नियुक्त शिक्षकों पर भी टीईटी की शर्त लागू कर दी है।
केंद्र सरकार ने अब तक इस पर कोई कदम नहीं उठाया, जो गंभीर चिंता का विषय है। वहीं, विधि सलाहकार आमोद श्रीवास्तव का कहना है कि प्रदेश सरकार ने इस मामले को गंभीरता से उठाया है, लेकिन जब तक केंद्र सरकार हस्तक्षेप नहीं करेगी, तब तक शिक्षकों को पूरी राहत मिलना मुश्किल है
प्राथमिक विद्यालयों में 5352 विशेष शिक्षकों की होगी नियुक्ति
लखनऊः प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों में पढ़ने वाले दिव्यांग बच्चों के बौद्धिक और शैक्षिक विकास के लिए 5352 विशेष शिक्षकों की नियुक्ति होगी। इनमें प्राथमिक स्तर पर 3008 और उच्च प्राथमिक व कंपोजिट विद्यालयों में 2344 विशेष शिक्षक नियुक्त होंगे। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट में दाखिल रजनीश पांडेय की याचिका पर सात मार्च को आए आदेश के अनुपालन में किया गया है। हाल ही में कैबिनेट ने विशेष शिक्षकों के पद सृजन को मंजूरी दी थी।
बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में फिलहाल प्राथमिक स्तर पर 45,256 और उच्च प्राथमिक स्तर पर 8041 सहायक अध्यापकों के पद खाली हैं। इनमें से 5352 पदों को बदलकर विशेष शिक्षकों के पद के रूप में चिह्नित किया गया है। इसके साथ ही बेसिक शिक्षा परिषद के कुल 4,27,833 स्वीकृत पदों में अब विशेष शिक्षकों के पद भी शामिल हो गए हैं। पद सृजन के बाद परिषद के अधीन विद्यालयों में संवर्गवार पदों का नया विवरण हो गया है।
प्रधानाध्यापक पद रिक्त, फिर भी उच्च पद पर दी गई नियुक्ति
प्रयागराज राजकीय माध्यमिक शिक्षा के अधीनस्थ राजपत्रित (पुरुष/महिला) के रिक्त पदों पर पदोन्नति प्राप्त शिक्षकों के पदस्थापन किए जाने में अनियमितता का आरोप लगाकर मुख्यमंत्री से शिकायत की गई है। भेजे पत्र में बताया गया है कि अधीनस्थ राजपत्रित (हाईस्कूल प्रधानाध्यापक) पद पर पदोन्नत शिक्षकों के पदस्थापन में सुनियोजित ढंग से संशोधन किया है। एक तरफ जहां हाईस्कूल में प्रधानाध्यापक के पद रिक्त हैं, वहां तैनाती न देकर कुछ को बेसिक के निवर्तन पर भेजा गया है तो कुछ को उच्च पद पर नियुक्ति के आदेश किए गए हैं। मांग की गई है कि उच्च पदों पर किए जा रहे पदस्थान पर रोक लगाकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए।
शिकायती पत्र में राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद पाण्डेय एवं कार्यकारी महामंत्री अरुण यादव ने बताया है कि 28 मार्च 2025 को अधीनस्थ राजपत्रित पद पर पदोन्नति प्राप्त पुरुष/महिला शाखा के अधिकांश शिक्षकों ने उन विद्यालयों में कार्यभार ग्रहण नहीं किया, जहां पदस्थापन किया गया था। कुछ दिनों बाद शिक्षा निदेशक के यहां पत्र देकर पदस्थापन में संशोधन किए जाने की मांग की। संशोधन किए जाने का प्रकरण शिक्षा अनुभाग-2 को भेज दिया गया। कुछ इंतजार के बाद 18 सितंबर को शासन के विशेष सचिव उमेश चंद्र की ओर से सूची निर्गत की गई, जिसमें तीन पुरुष व दो महिला शिक्षकों के विद्यालयों में संशोधन किया गया है। संशोधित विद्यालय उच्च पद के हैं।
दो को बेसिक शिक्षा में निवर्तन पर भेजा गया है तथा एक शिक्षक को प्रभारी सह जिला विद्यालय निरीक्षक बनाया गया है। एक शिक्षक को अलीगढ़ में इंटर कालेज के प्रिंसिपल पद पर नियुक्त किया गया है। आरोप लगाया है कि हाईस्कूल में प्रधानाध्यापक पद रिक्त होते हुए पदोन्नत शिक्षकों को उनके मूल पद पर नियुक्त न कर उच्च पद पर नियुक्त करना अवैधानिक है। इसके लिए दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की गई है।
यूपीटीईटी के लिए आयोग ने बनाई कमेटी, आवेदन जल्द
उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग पहली बार कराएगा परीक्षा
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) के लिए जल्द आवेदन लिया जाएगा। शिक्षा सेवा चयन आयोग में इसके लिए कमेटी बनाई है। कमेटी परीक्षा प्रारूप, योग्यता और परीक्षा शुल्क आदि का निर्धारण करेगी। जल्द ही प्रारूप तैयार कर शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा।
प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक शिक्षक भर्ती के लिए टीईटी क्वॉलिफाई करना अनिवार्य है। अब तक यह परीक्षा उत्तर प्रदेश परीक्षा नियामक करता रहा। नियामक की ओर से अंतिम परीक्षा 23 जनवरी 2022 को कराई गई थी। इसके बाद परीक्षा नहीं हुई है।
इसके अलावा लंबे समय से प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती भी नहीं हुई है। ऐसे में प्रतियोगी प्राथमिक शिक्षक भर्ती के साथ टीईटी कराने के लिए आंदोलनरत हैं। हालांकि, कोई बड़ी बाधा नहीं आई तो जनवरी में टीईटी करा लिया जाएगा।
अब यह परीक्षा उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग कराएगा। आयोग ने जनवरी में परीक्षा की तिथि भी घोषित कर दी है। अब आयोग ने कमेटी भी गठित कर दी है। इसी माह प्रारूप तैयार होने की उम्मीद है। शासन से मंजूरी के बाद आवेदन मांगा जाएगा।
आयोग की ओर से लिया जाएगा आवेदन
नवगठित शिक्षा सेवा चयन आयोग की ओर से अब तक सिर्फ असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा कराई गई है लेकिन इसके लिए आवेदन उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की ओर से मांगा गया था। शिक्षा सेवा चयन आयोग यूपीटीईटी के रूप में पहली बार किसी परीक्षा के लिए आवेदन मांगेगा।
20 लाख से अधिक आवेदन के आसार
जनवरी, 2022 में हुई परीक्षा के लिए 1,29,16,281 आवेदन पहुंचे थे। इनमें से 11,47,090 अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए थे। अब चार साल बाद जनवरी में परीक्षा प्रस्तावित है। ऐसे में शिक्षक भर्ती का इंतजार कर रहे डीएलएड, बीएड उत्तीर्ण प्रतियोगियों की लंबी कतार हो गई है और यूपीटीईटी के लिए 20 लाख से अधिक आवेदन आने की बात कही जा रही है। आयोग में इसे ध्यान में रखकर तैयारी भी की जा रही है।
0 Comments
आप को जानकारी अच्छी लगे तो हमें कमेंट और फॉलो करे |