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2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से राहत देने की मांग

2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से राहत देने की मांग

लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य किए जाने के बाद अलग-अलग शिक्षक संगठन इसमें राहत की अपील कर रहे हैं। इसी क्रम में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने प्रधानमंत्री व शिक्षा मंत्री को पत्र भेजकर 25 अगस्त 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों को इससे राहत देने की मांग की है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम प्रकाश साहू ने पत्र में कहा है कि आरटीई लागू होने की तिथि व इसके बाद नियुक्त शिक्षकों को टीईटी पास करना अनिवार्य किया गया है। 

इसी समय पर जिन शिक्षकों के पास न्यूनतम अर्हताएं नहीं हैं, उन्हें केंद्र सरकार चाहे तो शिथिलता दे सकती है। वर्ष 2010 के पहले नियुक्त शिक्षकों की न्यूनतम अर्हता स्नातक, बीएड या एलटी, बीटीसी व विशिष्ट बीटीसी थी। उन्होंने कहा है कि जिस तरह टीईटी की अनिवार्यता 20-25 साल से नौकरी कर रहे शिक्षकों के लिए की गई है क्या उसी तरह की अनिवार्यता किसी अन्य विभाग के 20-25 साल नौकरी करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए की जा सकती है। ऐसे में टीईटी लागू होने से पहले के नियुक्त शिक्षकों को इससे राहत दी जाए।

दरोगा भर्ती : 16.45 लाख अभ्यर्थियों ने किया आवेदन

करीब 8 हजार लोगों का आवेदन शुल्क नहीं हो सका जमा, दोबारा मिलेगा मौका

लखनऊ। प्रदेश पुलिस में 4543 दरोगा और समकक्ष पदों पर भर्ती के लिए 16.45 लाख अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन आवेदन किया है। इनमें से करीब 8 हजार अभ्यर्थियों का आवेदन शुल्क तकनीकी कारणों से जमा नहीं हो सका, जिसकी वजह से उन्हें दोबारा मौका दिया जाएगा। वहीं दूसरी ओर बृहस्पतिवार को आवेदन करने की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद भर्ती बोर्ड लिखित परीक्षा कराने की कवायद में जुट गया है।

भर्ती बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक अभ्यर्थियों की सुविधा के लिए 12 सितंबर को सुबह 6 बजे से 15 सितंबर को सुबह 6 बजे तक आवेदन पत्र में संशोधन किये जाने के लिए एक अवसर प्रदान किये जाने का निर्णय भी लिया है। बोर्ड द्वारा जल्द नई भर्ती नियमावली के मुताबिक फूलप्रूफ लिखित परीक्षा आयोजित की जाएगी 

बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा राज्य के 912 केंद्रों पर आज

पटना- बीपीएससी की 71वीं एकीकृत संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा शनिवार को होगी। परीक्षा में शामिल होने के लिए 4 लाख 70 से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। लेकिन, शुक्रवार शाम छह बजे तक तीन लाख 45 हजार अभ्यर्थियों ने ही प्रवेश पत्र डाउनलोड किया, यानी सवा लाख के करीब परीक्षार्थी पहले ही पीटी से दूर हो गए हैं। पिछले वर्ष 70वीं की प्रारंभिक परीक्षा में लगभग 40 हजार अभ्यर्थियों ने प्रवेश पत्र डाउनलोड करके बाद परीक्षा नहीं दी थी। ऐसे में शनिवार को उपस्थिति और कम हो सकती है।

राज्य के 37 जिलों में कुल 912 परीक्षा केंद्रों पर एकीकृत 71वीं संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगिता परीक्षा एक

तीन लाख 45 हजार प्रवेश पत्र डाउनलोड पटना समेत 37 जिलों में बनाए गए हैं केंद्र

पाली में दोपहर 12 बजे से अपराह्न 2 बजे तक होगी। परीक्षा केंद्रों पर अभ्यर्थियों का प्रवेश साढ़े नौ बजे से शुरू हो जाएगा। अंतिम प्रवेश 11 बजे तक होगा। विलंब होने पर प्रवेश नहीं दिया जाएगा। किसी तरह की इलेक्ट्रॉनिक गैजेट नहीं ले जाना है। तीन स्तरों पर अभ्यर्थियों की जांच होगी। आयोग ने अभ्यर्थियों से असामाजिक एवं अवांछित तत्व, परीक्षा से संबंधित काल्पनिक, निराधार, तथ्यहीन सूचनाओं और अफवाहों से दूर रहने की अपील की है।

बेटियों की फीस माफी चार साल से प्रस्तावों में फंसी हाय

प्रयागराज। निजी स्कूल या कॉलेज में पढ़ रही एक परिवार की एक से अधिक बच्चियों में से दूसरी बच्ची की ट्यूशन फीस माफ करने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की घोषणा चार साल से प्रस्तावों में ही फंसी है। मुख्यमंत्री ने दो अक्टूबर 2021 (गांधी जयंती) को लखनऊ में घोषणा की थी कि ऐसी बच्चियों की ट्यूशन फीस या तो संस्था को प्रोत्साहित करते हुए माफ कराई जाएगी या उसकी प्रतिपूर्ति राज्य सरकार करेगी।

इस संबंध में तीन दिसंबर 2024 को शिक्षा निदेशालय से प्रस्ताव भेजा गया लेकिन अफसर किसी निर्णय पर नहीं पहुंच सके। इसी क्रम में अभिभावकों की आय सीमा समेत अन्य बिन्दुओं पर विचार-विमर्श के लिए विशेष सचिव माध्यमिक कृष्ण कुमार गुप्त की अध्यक्षता में 20 अगस्त 2025 को हुई बैठक में तय हुआ कि आय सीमा का निर्धारण (छात्रवृत्ति/फीस प्रतिपूर्ति) समाजकल्याण विभाग की गाइडलाइन के आधार पर किया जाएगा।

फीस माफी या प्रतिपूर्ति का दावा प्रस्तुत करने वाली बच्चियों/अभिभावकों को अन्य योजना से लाभ मिल रहा है या नहीं इसे फिल्टर करने के लिए समाज कल्याण विभाग के छात्रवृत्ति पोर्टल से माध्यमिक शिक्षा

विभाग के इस घोषणा के क्रियान्वयन के लिए लागू की गयी योजना को एनआईसी के माध्यम से इंटीग्रेट भी करना होगा। वर्तमान में राजकीय/अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में ट्यूशन फीस नहीं है। वित्तविहीन विद्यालयों के संबंध में भी माध्यमिक शिक्षा विभाग की 2018 में निर्गत फीस नियमन की अधिसूचना के अनुसार ट्यूशन फीस नाम से कोई फीस नहीं ली जाती है बल्कि कम्पोजिट फीस की व्यवस्था निर्धारित है जिसमें समेकित रूप से सभी प्रकार की फीस सम्मिलित हैं।

इन स्थितियों में घोषणा के क्रियान्वयन के लिए सुविचारित प्रस्ताव तैयार करने पर सहमति बनी है। शासन के उपसचिव संजय कुमार ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव को नौ सितंबर को भेजे पत्र में फीस माफी/फीस प्रतिपूर्ति के संबंध में एक सपताह के अंदर संशोधित प्रस्ताव मांगा है।

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