B.Ed. होगा प्राथमिक शिक्षक भर्ती में मान्य; NCTE अधिनियम 2025 के लागू हो जाने से होगा बड़ा बदलाव।

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (NCTE) की ओर से प्रस्तावित NCTE अधिनियम 2025 अब शिक्षा व्यवस्था में महत्वपूर्ण मोड़ लाने जा रहा है। NCTE अधिनियम 2025 को संसद एवं विधि-मंत्रालय की मंजूरी पाने के बाद, B.Ed. डिग्रीधारी भी प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे जो एक बड़ा परिवर्तन होगा।
फरवरी 2025 में NCTE ने "Draft NCTE (Recognition Norms and Procedure) Regulations, 2025" जारी कर दिया था, जिसमें 5 प्रकार की शिक्षक शिक्षा कार्यक्रमों के मानदंड और प्रक्रियाएँ बताई गई हैं। इस ड्राफ्ट पर सुझाव लेने की प्रक्रिया सार्वजनिक हुई थी, और NCTE ने लगातार विभिन्न कार्यक्रम, विचार-विमर्श एवं मीडिया माध्यमों (Facebook, Twitter, वेबसाइट) पर
जानकारी साझा की।
NCTE के अध्यक्ष और अन्य विशेषज्ञों के वीडियो तथा संवाद You Tube एवं सोशल मीडिया पर प्रसारित हुए हैं, जिनमें नई नियमावली के महत्व और भविष्य की भूमिका पर चर्चा की गई है।
शिक्षा मंत्रालय ने इस मसौदे की समीक्षा कराकर इसे विधि मंत्रालय को भेजने को कहा है; विधि मंत्रालय की स्वीकृति के बाद यह कानून संसद से पारित होगा।
लागू हुआ तो क्या होगा?
इस अधिनियम के लागू हो जाने पर B.Ed. डिग्री को प्राथमिक शिक्षक भर्ती में मान्यता दी जाएगी।
इस बदलाव के बाद, B.Ed. कर चुके और करने वाले उम्मीदवार प्राइमरी शिक्षक भर्ती (Primary Teacher Recruitment) की प्रक्रिया में भाग लेने योग्य हो जाएंगे। (पहले D.El.Ed / अन्य समकक्ष तक सीमित था।)
साथ ही, राज्यों को राज्य-स्तरीय TET (UPTET /BTET/HTET etc) परीक्षा में B.Ed. को शामिल करना संभव होगा, ताकि राज्य का TET पास कर B.Ed. डिग्री धारक प्राथमिक स्तर के शिक्षक भर्ती में आवेदन कर प्राथमिक विद्यालयों में अपनी सेवा दे सकेंगे।
यह बदलाव B.Ed. डिग्री धारकों के लिए राहत लेकर आएगा, चाहे वे 1 वर्ष, 2 वर्ष या 4 वर्ष B.Ed. (ITEP) कर चुके हों या कर रहे हों। - पंकज अरोड़ा (NCTE अध्यक्ष)
इतिहास की झलक - 2018 का गज़ट और सुप्रीम कोर्ट की रिकर्सन ऑर्डर।
वर्ष 2018 में NCTE ने एक गज़ट नोटिफिकेशन जारी किया था जिसमें B.Ed को प्राइमरी स्तर की शिक्षक भर्ती में मान्यता दी गई थी।
लेकिन बाद में यह गज़ट विभिन्न आपत्तियों के कारण विवादों में आया। राजस्थान की कांग्रेस सरकार द्वारा एक विज्ञापन निकालना, जिसमें B.Ed को प्राथमिक स्तर पर मान्य न मानने की बात थी, वह विवाद का विषय बना। सुप्रीम कोर्ट ने उस विज्ञापन को मान्य नहीं माना। परन्तु 2018 की गज़ट में कथित कमियों (एक्सपर्ट कमेटी मीटिंग का न होना) का हवाला देते हुए उसे रद्द किया गया और B.Ed की प्राथमिक स्तर में मान्यता पर पुनः प्रक्रिया प्रारंभहुआ।
11 अगस्त 2023 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने NCTE को निर्देश दिया कि शिक्षक भर्ती में B.Ed को मान्यता दिलाने हेतु नए कानून का प्रस्ताव तैयार करे।
B.Ed. डिग्री धारकों को विभिन्न स्तरों (बाल वाटिका, प्राइमरी, जूनियर, TGT-PGT) के शिक्षक बनने का अवसर मिलेगा। यानी 5+3+4+4 (Foundation, Preparatory, Middle, Secondary) तक शिक्षक प्रशिक्षण की संरचना के अनुरूप।
आगे की योजना है कि 2026 से DElEd, BTC, BSTC, JBT आदि पुरानी टीचर प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को समाप्त किया जाए, और 2030 तक देशभर में पूरी तरह बंद कर दिया जाए जैसा कि NEP 2020 में प्रस्तावित है।
धर्मेंद्र प्रधान (केंद्रीय शिक्षा मंत्री)
वर्तमान स्थिति और चुनौतियाँ-
NCTE ने पुराने नियमों (2014) को प्रतिस्थापित करते हुए नया मसौदा पेश किया है।
नए नियमों में विषय विभाजन के प्रस्ताव हैं - प्रारंभिक स्तर (Foundation, Grades 1-2), प्रारंभिक स्तर (Grades 3-5), मिडल स्तर (Grades 6-8), माध्यमिक स्तर (Grades 9-10) आदि।
नए नियमों में 6 महीने का ब्रिज कोर्स प्रस्तावित है, ताकि नवीन नियुक्त प्राथमिक शिक्षक B.Ed. प्राप्त करने के बाद आवश्यक प्रशिक्षण पूरक रूप से पूरा कर सकें।
शिक्षक शिक्षा में एक नया युग..
यह अधिनियम पारित हो जाना B.Ed. धारकों के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी और शिक्षक भर्ती के क्षेत्र में समावेशी बदलाव लाएगा।
वर्तमान में, NCTE, शिक्षा मंत्रालय और विधि मंत्रालय इस मसौदे को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं। छात्रों, शिक्षकों और नीति निर्धारकों को इस बदलाव पर नज़दीकी दृष्टि रखनी होगी -क्योंकि यह निर्णय आने वाले वर्षों में शिक्षक शिक्षा की दिशा तय करेगा।
Draft NCTE Regulations 2025 पर प्रो. पंकज अरोड़ा द्वारा किया गया विस्तृत संवाद - YouTube पर उपलब्ध है।
अन्य-
NCTE ने अब तक 2,224 शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों की मान्यता रद्द कर दी है क्योंकि वे निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं कर पा रहे थे।
आलोचकों ने यह सुझाव दिया है कि मास्टर डिग्री (M.Ed.) को अनिवार्य करने जैसा प्रावधान Ph.D. धारकों को समान अवसर न देने जैसा हो सकता है।
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