शिक्षा सेवा चयन आयोग नहीं ले सका किसी भर्ती का आवेदन
29 एवं 30 जनवरी को परीक्षा प्रस्तावित, अब तक आवेदन का मसौदा ही तैयार नहीं, टीईटी पर भी दुविधा
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग की शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) को लेकर भी दुविधा बनी हुई है। आयोग ने 29 और 30 जनवरी को परीक्षा कराने की घोषणा की है लेकिन आवेदन प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो पाई है।
यहां तक कि आवेदन का प्रारूप ही तैयार नहीं हो पाया है। ऐसे में तय तारीख पर परीक्षा कराने को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। आयोग के गठित हुए दो साल से अधिक हो गया है लेकिन अब तक किसी भी भर्ती के आवेदन नहीं लिया जा सका है। यूपीटीईटी पहली परीक्षा होगी जिसके लिए आयोग खुद विज्ञापन जारी करने के साथ अभ्यर्थियों से आवेदन लेगा लेकिन अध्यक्ष प्रो. कीर्ति पांडेय के इस्तीफे के बाद गतिरोध बन गया है। उनका इस्तीफा स्वीकार होने से एक दिन पहले असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती का साक्षात्कार स्थगित कर दिया गया। इसके अलावा 15 और 16 अक्तूबर को प्रस्तावित प्रवक्ता भर्ती परीक्षा भी स्थगित कर दी गई है। ऐसे में शिक्षक पात्रता परीक्षा को लेकर भी सवाल खड़े हैं।
अफसरों के अनुसार यदि तय तारीख पर परीक्षा करानी है तो अक्तूबर के पहले पखवाड़ा में आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिए। इसे ध्यान में रखकर आयोग ने इसका प्रस्ताव तैयार करने के लिए कमेटी बनाई है, प्रारंभिक प्रस्ताव भी तैयार हो गया है लेकिन शासन से इसे स्वीकृति नहीं मिली है।
बताया जा रहा है कि प्रस्ताव के कई बिंदुओं को लेकर गतिरोध है। अफसरों का कहना है कि अब नए अध्यक्ष के आने के बाद ही यूपीटीईटी की प्रक्रिया शुरू हो पाएगी।
नियमों में बदलाव से पेंशनरों को लग सकता है झटका
प्रयागराज। केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमों के विधि मान्यकरण/वैद्यकरण कानून से पेंशनधारकों की नींद उड़ी हुई है। उन्हें आशंका है कि इस कानून के लागू होने से आठवें पेंशन आयोग के लाभ से वंचित होना पड़ सकता है। इस मसले पर पेंशनरों की ओर से जनप्रतिनिधियों से संपर्क किया जा रहा है ताकि सरकार कानून वापस ले।
पेंशनरों को आठवें वेतन आयोग के लाभ से वंचित रह जाने की आशंका
ऑल इंडिया ऑडिट एंड एकाउंट पेंशनर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सुभाष चंद्र पांडेय का कहना है कि भारत सरकार ने वित्त विधेयक के भाग (चार) में पेंशन रूल्स के वैद्यकरण (वैलिडेशन) को भी 25 मार्च 2025 और 27 मार्च 2025 को संसद से पारित करा लिया है। 29 मार्च 2025 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन गया।
इस संशोधन विधेयक से सरकार को यह अधिकार मिल गया है कि वह सेवानिवृत की तिथि के आधार पर या वेतन आयोग की संस्तुतियों के लागू होने की तिथि के आधार पर पेंशनर्स में अंतर कर सकती है और एक निश्चित तिथि के पूर्व के पेंशनर्स को वैध पेंशन की देनदारियों से वंचित कर सकती है। ऐसे में पुराने पेंशनरों को आठवें वेतन आयोग के लाभ से वंचित होना पड़ सकता है।
आठवां वेतन आयोग एक जनवरी 2026 से लागू होना चाहिए लेकिन सरकार ने इसकी घोषणा नहीं की है। वेतन आयोग की घोषणा के बाद यह स्पष्ट हो सकेगा कि इससे पुराने पेंशनरों को फायदा होगा या नहीं लेकिन इस कानून के तहत केंद्र सरकार को यह अधिकार मिल गया है कि वह चाहे तो पुराने पेंशनरों को आठवें वेतन आयोग के लाभ से वंचित कर सकती है।
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