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टीईटी के मुद्दे पर सड़क से संसद तक संघर्ष का एलान

टीईटी के मुद्दे पर सड़क से संसद तक संघर्ष का एलान

लखनऊ। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ की राष्ट्रीय वर्किंग कमेटी की बैठक रविवार को मदुरई तमिलनाडु में हुई। इसमें टीईटी के मुद्दे पर सड़क से संसद तक संघर्ष का ऐलान किया गया।

राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि बैठक में टीईटी अनिवार्यता, विभिन्न प्रांत के शिक्षकों से संबंधित समस्याओं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षक विरोधी मुद्दों, संविदा शिक्षको के नियमितीकरण, 8वें वेतन आयोग पर त्वरित कार्रवाई पर विस्तृत चर्चा हुई। वर्किंग कमेटी में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ सभी ने एक स्वर में संघर्ष की सहमति दी। उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू तमिलनाडु में राष्ट्रीय वर्किंग कमेटी की बैठक में शिक्षकों की समस्याओं पर चर्चा होने के पूर्व नियुक्त शिक्षक को टीईटी से छूट दी गई थी। इस पर एनसीटीई को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। ताकि देश भर के लाखों शिक्षकों को राहत मिल सके।

बैठक में राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने टीईटी की अनिवार्यता के खिलाफ मजबूत आंदोलन व सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी करने की रणनीति बनी। बैठक में उत्तर प्रदेश से ठाकुरदास यादव, आलोक मिश्रा, अनुज त्यागी, नरेश कौशिक, योगेश शुक्ला, संजय पांडेय आदि उपस्थित थे।

देश के एक लाख स्कूल में एकल शिक्षक, पढ़ रहे 33.76 लाख छात्र

नई दिल्ली। देश में एक लाख से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं, जहां पूरा स्कूल सिर्फ एक ही शिक्षक चला रहा है। केंद्र सरकार के ताजा आंकड़ों के अनुसार, इन स्कूलों में करीब 33.76 लाख छात्र नामांकित हैं। यानी हर स्कूल में औसतन 34 बच्चे एक ही शिक्षक से पढ़ रहे हैं। दिल्ली में ऐसे केवल नौ स्कूल हैं, जबकि उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है।

शिक्षा मंत्रालय की 2024-25 की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में कुल 1,04,125 एक शिक्षक वाले स्कूल हैं। इनमें सबसे ज्यादा स्कूल आंध्र प्रदेश में हैं, जबकि इन स्कूलों में सबसे अधिक छात्र उत्तर प्रदेश में पढ़ते हैं। आंध्र प्रदेश में 12,912, उत्तर प्रदेश में 9,508, झारखंड में

9,172, महाराष्ट्र में 8,152, कर्नाटक में 7,349, और मध्य प्रदेश व लक्षद्वीप में 7,217-7,217 एक शिक्षक वाले स्कूल हैं। पश्चिम बंगाल में 6,482, राजस्थान में 6,117, छत्तीसगढ़ में 5,973 और तेलंगाना में 5,001 स्कूल ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक शिक्षक हैं। केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी, लद्दाख, दादरा

और नगर हवेली, दमन-दीव और चंडीगढ़ में कोई भी एक शिक्षक वाला स्कूल नहीं है। पिछले दो वर्षों में इन स्कूलों की संख्या में लगभग छह फीसदी की कमी आई है। वर्ष 2022-23 में देश में 1,18,190 ऐसे स्कूल थे, जो 2023-24 में घटकर 1,10,971 रह गए।

दाखिले के लिहाज से यूपी अव्वल 

छात्र दाखिले के लिहाज से उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, जहां 6.24 लाख छात्र ऐसे स्कूलों में पढ़ रहे हैं। झारखंड में 4.36 लाख, पश्चिम बंगाल में 2.35 लाख, मध्य प्रदेश में 2.29 लाख, कर्नाटक में 2.23 लाख, आंध्र प्रदेश में 1.97 लाख और राजस्थान में 1.72 लाख बच्चे इन स्कूलों में पढ़ रहे हैं।

स्कूलों के विलय का चल रहा अभियान

शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, सरकार अब स्कूलों को जोड़ने और संसाधनों का सही इस्तेमाल करने के लिए अभियान चला रही है। इसके तहत जिन स्कूलों में कोई छात्र नहीं है, वहां के शिक्षकों को एक-शिक्षक वाले स्कूलों में भेजा जा रहा है। आरटीई कानून 2009 के मुताबिक, प्राथमिक स्कूलों में 30 छात्र पर एक शिक्षक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में 35 छात्र पर एक शिक्षक होना चाहिए। लेकिन कई जगह अभी भी यह नियम पूरा नहीं हो रहा है।

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