ये प्रौढ़ में बदलने के लिये 5 बार त्वचा विमोचन करते हैं तृतीय अवस्था से ही इनके शरीर में पंख कलिकायें दिखाई देने लगती हैं । पूर्ण विकसित शिशु लगभग 15 मिमी ० लम्बा होता है । ये 14 से 20 दिनों में पूर्ण विकसित होकर प्रौढ़ कीटों में बदल जाते हैं ।
प्रौढ़ (ADULT) - नवजात प्रौढ़ लगभग 16 मिमी ० लम्बा तथा शरीर पतला होता है । प्रारम्भ में रंग हल्का धानी , पीला अथवा लालिमा लिये हुए , जो बाद में भूरा हो जाता है । इसका सिर छोटा तथा निम्न तल पर चार खंड की चोंच होती है । सिर के आगे की ओर एक जोड़ी एन्टिनी जो कि शरीर से भी लम्बे तथा लाल - हरे रंग के होते हैं । इनके पश्च - वक्ष ( meta - thorax ) पर गन्ध ग्रन्थियाँ होती हैं । वक्ष में दो जोड़ी पंख होते हैं जिससे अगले जोड़ी पंखों का आधा भाग चमकीला और पिछला आधा भाग झिल्ली जैसा होता है । इस प्रकार के पंखों को हेमेलीट्रा ( hemelytra ) कहते हैं । प्रौढ़ 12 दिन से 14 दिन के बाद मैथुन करते हैं तथा मादा कीट 3 , 4 दिन बाद अण्डे देना शुरू करती है । नर कीट 33 दिन तथा मादा 55 दिन तक जीवित रहती है । सम्पूर्ण जीवन चक्र 21-31 दिनों में पूरा होता है । वर्ष में कई पीढ़ियाँ पायी जाती हैं परन्तु धान के खेत में 4 या 5 पीढ़ियाँ ही पूरी हो जाती है । इसके पश्चात् प्रौढ़ कीट शीत निष्क्रियता में रहते हैं तथा शिशु मर जाते हैं । गर्मी शुरू होते ही फरवरी , मार्च से सक्रिय होकर घासों आदि पर जीवन निर्वाह करते रहते हैं ।

नियन्त्रण (CONTROL) - ( 1 ) खेतों के आस -
पास उग रही घास को धान की फसल बोने से पहले ही नष्ट कर देना चाहिये । ताकि ये वहाँ
पर जीवन निर्वाह न कर सकें ।
( 2 ) खेतों के पास
प्रकाश प्रपंच लगाकर शिशु तथा प्रौढ़ दोनों को ही आकर्षित करके नष्ट किया जा सकता
है ।
( 3 ) जहाँ तक सम्भव
हो धान की प्रतिरोधी किस्में उगाएं जैसे उत्तर प्रदेश में सठिया , बिहार में
सोना तथा मद्रास मुन्दगाकुट्टी आदि ।
( 4 ) यदि खड़ी फसल
में इस कीट का प्रकोप हो गया है तो निम्न दवाओं में से किसी एक की दी गयी
मात्रा का प्रति हैक्टेयर की दर से फसल पर बुरकाव करना चाहिये |
( क ) बी ० एच ० सी ० 10 प्रतिशत धूल -
25 किलो
( ख ) बी ० एच ० सी ० 5 प्रतिशत धूल - 38 किलो
( ग ) मालाथियान 5 प्रतिशत
धूल किलो 30
( घ ) थायोडान 4 प्रतिशत
धूल - 20 किलो
( ङ ) कार्बारिल 10 प्रतिशत धूल
- 20 किलो
प्राकृतिक शत्रु – ( 1 ) मैनटिस : इस
कीट के शिशु तथा प्रौढ दोनों ही खाते हैं .
( क ) Coccinella ndecipunctata
( ख ) Adalia sp .
ग ) Ommatius स्पेशल.
कुछ चिडियां भी इन्हें
खाती हैं ।
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