मिथाइल बोमाइड Methyl bromide
( 7 ) मिथाइल बोमाइड ( Methyl bromide ) CH , Br- यह सामान्य , तापक्रम पर भी गैस के रुप में रहता है इसकी गैस हवा से 3.3 गुना भारी होती है । यह ज्वलनशील नहीं होता तथा पानी बहुत कम घुलता है । इसकी गैस कीटों के लिये कम विषैली है तथा उन्हें धीरे - धीरे मारती है इसको प्राय मिलों , गोदामों , खाद्य पदार्थों तथा बहुत से जीवित पौधों के धूम्रण में प्रयोग करते हैं । इसके प्रयोग से अधिक लाभ यह है कि यह पौधों और फलों पर हानिकारक प्रभाव नहीं छोड़ता है ।
( 8 ) हाइड्रोसायनिक एसिड ( Hydrocynic acid ) HCN - इसे हाइड्रोजन सायनायड भी कहते हैं । यह बहुत विषैली होती हैं अतः प्रयोग
करने के लिये एक कुशल व्यक्ति की आवश्यकता होती है ।
साधारणत : यह गैस होती है , परन्तु कम
तापक्रम पर द्रव हो 6 ° C पर उबलता है इसकी
गैस हवा कुछ हल्की होती है । क्योंकि इसका घनत्व 0.9 होता है फलस्वरूप यह नीचे से ऊपर की ओर उठती है यह बाजार में कई नामों से
मिलता ; जैसे - कैलसिड साइनो और साइमैग । हाइड्रोजन सायनायड को प्रयोग करने की निम्न
विधियाँ हैं
( 1
) बर्तन विधि ( Pot method )
- इस विधि से जल में गंधक के अम्ल को मिलाते
हैं इसे मिट्टी अथवा चीनी मिट्टी के बर्तन या मोम लगे हुये ढोल में मिलाते है
तत्पश्चात् इस मिश्रण में सोडियम सायनाइड को मिलाते है जिससे एच.सी.एन. गैस
उत्पन्न होती है । इस क्रिया को निम्न समीकरण द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है
NaCN + H , SO4 + NaHSO4 + HCNT गोदामों तथा घरों
में निम्न दर से प्रयोग करते हैं ।
पानी = 2 लीटर गंधक अम्ल = 1 लीटर प्रति 30 घन मीटर स्थान किया o कोमल पौधों पर प्रयोग के लिये इसका अनुपात निम्न प्रकार से हैं पानी = 12 मिली ० गंधक अम्ल = 6 मिली . सोडियम सायनाइड = प्रति 30 घन मीटर स्थान सोडियम साइनाइड = 4 माम
( 2
) मशीन विधि - उपरोक्त
वस्तुओं को मशीन के एक विशिष्ट कक्ष में डालकर प्रयोग करते है एवं गैस को उचित
स्थान पर पाइपों द्वारा भेज दिया जाता है ।
( 3
) तरल विधि - फैक्ट्रियों
द्वारा द्रव हाइड्रोजन सायनाइड को स्टील के पात्रों में एकत्रित किया जाता है
जिनमें से पम्प द्वारा आवश्यक मात्रा निकाल ली जाती है । 13 माम द्रव हाइड्रोजन सायनायड 28 ग्राम ठोस
के बराबर होती है । इसे 20 मिली प्रति 30
घन मीटर स्थान की दर से घरो में प्रयोग करते हैं ।
( 4
) शुष्क विधि - कैल्शियम
सायनायड से साधारण तापक्रम तथा नमी से , यह गैस
स्वयं ही निकलती है । कैल्शियम सायनाइड ठोस पाउडर के रूप में बन्द डिब्बों में
साइमैग ( Cymag ) के नाम से बिकता है । इसको जब फर्श
पर बिछाते हैं तो इससे स्वयं ही गैस निकलना प्रारम्भ हो जाती है ।
अथवा
CaCN2 = 2H2O + Ca ( OH ) 2 +
HCNM Ca H_( CN ) + 212 O - Ca ( OH ) 2 + 4HCN 145 % गैस वाले पाउडर को निम्न दर से प्रयोग करते हैं
( 1 ) घरों में 2 किमा ० प्रति 20 घन मीटर स्थान ।
( 2 ) पौधों पर 5 ग्राम प्रति 20 घन मीटर स्थान ।
( 1 ) ऐल्यूमिनियम फास्फाइड ( Aluminium Phosphide ) A1P– ऐल्यूमिनियम फास्फाइड मैले सफेद रंग
को ठोस पदार्थ होता है जो कि हवा से नमी प्राप्त कर ऐल्यूमिनियम हाइड्रेट में
परिणित होकर फास्फीन गैस निकलता है । यह बाजार में गोलियों में
फास्टाक्सिन ( Phostoxin ) या सेल्फास ( Celphos
) के रूप में मिलता है । फास्टाक्सिन 3 ग्राम की एक गोली के रूप में आती है जिसे ऐल्यूमिनियम फास्फाइड
को अमोनियम कार्बनिट से मिलाकर बनाते हैं । प्रत्येक 3 ग्राम की गोली नमी की उपस्थिति में प्राम निकलती है । AIP + 2 NH4O + CNH2 + 3H2O +4 PHG + A1 ( OH ) , + 4 NH2
+2 CO2 इसकी गैस हवा से हल्की होती है अतः अनाज की
तह में रक्खी जाती है एवं नीचे से ऊपर की ओर प्रविष्ट होती है । 1 गोली 2 कुन्तल अनाज के
लिये पर्याप्त होती है । गोली को हमेशा बन्द दूम या खत्तियों में ही प्रयोग करना
चाहिये इसके प्रयोग के पश्चात् अनाज को केवल एक दिन खुली हवा तथा धूप में सुखाने
के पश्चात् प्रयोग किया जा सकता है ।
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