धूम्रण विष ( Fumigants )
Fumigation formula
ये ऐसे विष
है जो कि
या जो साधारण
तापक्रम पर स्वयं
गैस के रूप
में होते हैं
अथवा रासायनिक क्रिया
या तापक्रम द्वारा
गैस के रूप
में परिवर्तित हो
जाते हैं ।
गैस के रूप
में हो कीटों
के श्वसन छिद्रों
के रास्ते से
श्वांस नलिकाओं में
पहुंचकर उनके तन्त्रिका
तन्त्र को प्रभावित
कर उन्हें मार
डालते हैं ।
धूम्र
विष वायु निरोधी
( Air proof ) स्थानों
में ही अधिकतर
प्रयोग किये जाते
हैं । कभी
- कभी धूम्रविषों को
वायु शून्य ( Vacuum
) स्थानों में
भी प्रयोग करते
हैं इन स्थानों
पर इसका प्रभावशा
से होता है
। इन विष
को आदर्श कोट
विष माना जाता
है क्योंकि वह
दरारों तथा छिये
स्थानों में रहने
वाले कीटों को
भी मार डालने
में समक्ष होते
है । चूंकि
ये स्तनधारियों के
लिये भी अत्यन्त
विषैले होते हैं
। अतः अत्यधिक
सावधानी व पूर्ण
जानकार ,
प्रशिक्षण आदि लेने
के पश्चात् ही
इनका प्रयोग करना
चाहिये । धूमण
के समय तापक्रम
बहुत महत्वपूर्ण भूमिका
निभाता है साधारणतः
उच्च तापक्रम इसके
लिये उपयुक्त हैं
। कुछ साधारण
प्रयोग में आने
वाले धूम्रण - विष
निम्नलिखित हैं ।
( 1 ) कार्बन डाई - सल्फाइड ( Carbon disulphide ) CS2 यह एक
पुराना धूम्रण विष
हे शुद्ध पदार्थ
रंगहीन द्रव है
जिसका वाष्पीकरण बिन्दु
46 3 ° C होता
है इसकी गैस
आसानी से आग
पकड़ लेती है
। यह गैस
रूप में हवा
से 203
गुना भारी होता
है अतः ऊपर
से नीचे की
ओर प्रविष्ट करती
है तथा तेज
से तेज स्थान
पर भी प्रवेश
कर जाती है
। हवा के
साथ मिलने पर
धड़ाके की आवाज
होती है ।
किसी स्थान पर
गैस की उपस्थिति
में बीड़ी ,
सिगरेट पीना या
किसी प्रकार का
प्रकाश करने वाली
वस्तु से आग
लगने का भय
रहता है ।
इस खतरे से
बचने के लिये
इसके एक भाग
को कार्बन टेट्रा
क्लोराइड के चार
भाग के साथ
मिलाकर प्रयोग करना
चाहिये । कार्बन
ट्रेटा क्लोराइड की
उपस्थिति से इसका
पता चल जाता
है ।
गोदामों
में इसके एक
पौड़ द्रव का
100 घन
फीट स्थान की
दर से प्रयोग
करते हैं इसके
लिये । उचित
तापक्रम 75
से 90
° F और समय 48
घण्टे हैं ।
इसके प्रयोग के
लिये विशेष ध्यान
इस बात का
रखना चाहिये कि
बीज अच्छी तरह
से सूखे हों
ऐसा न होने
पर उनके जमाव
पर बुरा प्रभाव
पड़ता है ।
सावधानियाँ
( 1
) 60 ° F से कम तापक्रम
पर इसका प्रयोग
नहीं करना चाहिये
।
( 2
) अनाज के दानों
पर सीधे द्रव
नहीं डालना चाहिये
क्योंकि ऐसा करने
से उनको उगने
की क्षमता पर
कुप्रभाव पड़ता है
।
( 3 ) आलुओं पर इसका प्रयोग नहीं करना चाहिये क्योंकि यह समय से पूर्व ही अंकुरण उत्पन्न कर देती है ।
( 2 ) कार्बन टेट्रा क्लोराइड ( Carbon tetra
chloride ) CCh - यह एक
रंगहीन ,
तीखी तेज गंध
वाला द्रव है
इसका वाष्पीकरण तापक्रम
77 ° C है
तथा पानी से
1.5 गुना
भारी होता है
। यह गैस
रूप में हवा
से 5.3
गुना भारी है
अतः यह भी
ऊपर से नीचे
की ओर प्रविष्ट
होता है ।
इसकी विशेषता यह
है कि इसकी
गैस आग नहीं
पकड़ती तथा तीखी
गन्ध होने के
कारण इसकी उपस्थिति
का पता आसानी
से चल जाता
है इसमें आग
न पकड़ने का
गुण होने के
कारण अन्य रसायनों
के साथ मिलाकर
प्रयोग करते हैं
। इससे दो
फायदें होते हैं
प्रथम आग लगने
का भय कम
हो जाता है
तथा दूसरे पदार्थ
का आयतन बढ़
जाता है जिससे
उसके वितरण तथा
प्रवेश होने की
क्षमता बढ़ जाती
है ।
( 3 ) क्लोरोपिक्रिन ( Chloropicrin ) CIR NO2 यह तनु ( Diluted
) पिकरिक अम्ल
को ब्लीचिंग पाउडर
पर डालकर तैयार
की जाती है
तथा इसे अश्रुगेस
भी कहते हैं
। यह हल्का
पीला या रंगहीन
द्रव होता है
जिसकी वाष्पीकरण तापक्रम
112.4 ° C होता
है यह पानी
से लगभग 1.7
गुना भारी होता
है । इसकी
गैस हवा से
5.7 गुना
भारी होती है
तथा वायु के
सम्पर्क में आने
पर धीरे - धीरे
गैस में परिवर्तित
होने लगता है
यह न तो
आग पकड़ती है
और न ही
विस्फोटक होती है
। यह कीटों
के लिये अत्यधिक
जहरीली ( कार्बन
डाइ - सल्फाइड
से 6
गुना ) तथा
स्तनधारियों के लिये
कम जहरीली है
इसका 1
लीटर प्रति 30
घन मीटर की
दर से प्रयोग
किया जाता है
। इससे प्रमुख
हानि यह है
कि यह अनाजों
तथा अन्य उपचारित
वस्तुओं पर जम
जाती है फलस्वरुप
बीजों के उगने
की क्षमता को
नष्ट कर देती
है ।
( 4 ) इथलिन डाइब्रोमाइड ( Ethylene dibromide ) CH , Br2 द्रव
हैं जिसका वाष्पीकरण
तापक्रम 130
° C होता है ।
इसकी गैस आग
नहीं पकड़ती ।
के लिये बहुत
विषैली होती है
अत : इसे
हमेशा कार्बन टेट्रा
क्लोराइड के साथ
मिलाकर प्रयोग करते
हैं । मिश्रण
में प्राय : 5
प्रतिशत इथलीन डाइब्रोमाइड
तथा 95
% भाग कार्बन टेट्रा
क्लोराइड का होता
है । इसे
1 लीटर
प्रति 7.5
घन मीटर की
दर से प्रयोग
करते हैं ।
यह रंगहीन ,
गंधहीन स्तनधारियों
( 5 ) इथलीन डाइक्लोराइड ( Ethylene dichloride ) CH , CICH , CI– यह
एक रंगहीन द्रव
है जो हल्का
तथा पानी में
घुलनशील है ।
इसमें ईथर जैसी
गन्ध आती है
। यह पानी
से 1.27
गुना भारी तथा
83 ° C पर
उबलती है इसकी
गैस हवा से
3 गुना
अधिक भारी होता
है यह गैस
बहुत जल्दी आग
पकड़ती है अत
: इसको अकेले प्रयोग
नहीं करते हैं
प्राय : कार्बन
टेट्रा क्लोराइड के
साथ मिलाकर प्रयोग
किया जाता है
। कार्बन टेट्रा
क्लोराइड के साथ
वाले मिश्रण को
ई ० डी
० सी ०
टी ० ( ED
. C.T. Mixture ) कहते हैं
इसे आयतानुसार 3
भाग इथलीन डाइ
- क्लोराइड तुथा
। भाग कार्बन
टेट्रा क्लोराइड होता
है बाजार में
यह किलोप्टेरा ( Killoptera
) के नाम से
मिलता है ।
यह मिश्रण काफी
सुरक्षित होता है
तथा आग इत्यादि
पकड़ने का खतरा
नहीं रहता है
। इसको 1
लीटर मात्रा प्रति
3 घन
मीटर की दर
से प्रयोग करते
हैं । 75
° F से कम तापक्रम
पर इसे प्रयोग
नहीं करना चाहिये
।
( 6 ) नैफ्थालीन ( Naphthalene
) Cin Hs - यह
सफेद वेदार ठोस
पदार्थ होता है
जो बाजार . में
गोलियों के रूप
में मिलता है
सामान्य तापक्रम पर
यह धीरे - धीरे
गैस के रुप
बदलता रहता है
जिससे एक विशेष
प्रकार की महक
आती है ,।
ठोस पदार्थ KPC
पर पिघलता है
तथा 2187C
पर उबलता है
। इसकी गैस
हवा से 4
गुना भारी होती
है । इसका
प्रमुख रूप से
कपड़ों के कीटों
के विरुद्ध करत
है । दुर्गन्ध
होने के कारण
खाद्य पदार्थों पर
इसका प्रयोग नहीं
किया जाता है
। इसका 100
ग्राम प्रति 30
घन मीटर की
दर से 12
से 15
घण्ट तक प्रयोग
करते हैं प्रयोग
करते समय तापक्रम
कम से कम
75 ° होना
आवश्यक है ।
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