यूपी बोर्ड के विद्यार्थियों को दक्ष बनाएगी व्यावसायिक शिक्षा

अपने कौशल को भी बढ़ाएंगे विद्यार्थी
लखनऊः यूपी बोर्ड के विद्यार्थी पढ़ाई के संग अपने हुनर को भी गढ़ेंगे। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने विद्यार्थियों की औपचारिक शिक्षा के साथ कौशल आधारित शिक्षा पर जोर दिया है। अगले सत्र से कक्षा नौवीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए व्यावसायिक शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है। परिषद की वेबसाइट पर सभी कक्षाओं के लिए संशोधित पाठ्यक्रम भी जारी कर दिया गया है।
व्यावसायिक शिक्षा की शुरुआत वर्ष 1989 में हुई थी। वर्ष 2004 से इसका संचालन केंद्र पोषित से राज्य सरकार के हाथों में आ गया, लेकिन लंबे समय तक यह योजना केवल कागजों पर ही रही। अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रविधानों के अनुरूप इसे वास्तविक रूप से लागू करने की तैयारी है। नई व्यवस्था के तहत माध्यमिक विद्यालयों के संचालकों को यह स्वतंत्रता दी गई है कि वे बिना किसी अतिरिक्त मान्यता के व्यावसायिक शिक्षा शुरू कर सकें। इसका मकसद है कि विद्यार्थी औपचारिक शिक्षा के साथ किसी एक ट्रेड में दक्ष बनकर रोजगार या स्वरोजगार के लिए तैयार हो सकें। अब कक्षा नौवीं से छात्र अनिवार्य रूप से व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण करेंगे। इसमें कक्षा 11 और 12 के लिए अलग-अलग ट्रेड विषयों के पाठ्यक्रम जारी किए गए हैं। इनमें आधुनिक जरूरतों के अनुरूप कई नए विषय जोड़े गए हैं। कक्षा 11 में घरेलू उपकरण रिपेयरिंग, कंप्यूटर मेंटेनेंस आदि जैसे और 12वीं मोबाइल रिपेयरिंग, हेल्थ केयर, सूचना प्रौद्योगिकी, रिटेल ट्रेडिंग, सिक्योरिटी सर्विसेज, कंप्यूटर टेक्निकल मेंटेनेंस सहित कई अन्य विषय को शामिल किया गया है। इन विषयों का उद्देश्य विद्यार्थियों को तकनीकी और सेवा क्षेत्र की मांगों के अनुसार तैयार करना है।
विशेषज्ञों का मानना है कि पाठ्यक्रम में नए ट्रेड विषयों को शामिल करना छात्रों के कौशल विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। इससे न केवल बेरोजगारी की समस्या घटेगी, बल्कि विद्यार्थी 12वीं तक किसी एक क्षेत्र में दक्ष होकर आत्मनिर्भर बन पाएंगे। वहीं, परिषद की मंशा है कि अधिक से अधिक विद्यार्थी ट्रेड विषयों का चयन करें ताकि प्रदेश में शिक्षित युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार के बेहतर अवसर मिल सकें।
हाईस्कूल से बीएड तक की डिग्री फर्जी, शिक्षक बर्खास्त
आजमगढ़ से राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में भर्ती हुए बुलंदशहर के शिक्षक अमित गिरि की हाईस्कूल, स्नातक व बीएड की डिग्री फर्जी पाई गई हैं। शिक्षक ने मास्टर बनने के लिए शातिर दिमाग लगाया था, मगर सत्यापन में सारी चालाकी पकड़ी गई।
शिक्षक ने बीएड की डिग्री मध्य प्रदेश की लगाई है। जबकि हाईस्कूल की मार्कशीट संपूर्णानंद विवि संस्कृत विवि वाराणसी की है, जिस पर किसी दूसरे छात्र का नाम है। इंटर की मार्कशीट जांच में सही पाई गई है, जो यूपी बोर्ड से है। शिक्षक ने हापुड़ जिले की मोनार्ड यूनिर्वसिटी से ग्रेजुएशन की मार्कशीट लगाई है, इसमें विवि से पूर्णांक व प्राप्तांक अंक सत्यापित नहीं दिए हैं, जांच में यह डिग्री फर्जी मिली है। मोनार्ड विवि में फर्जी डिग्रियां बनाने का मामले पहले भी सामने आ चुका है। जेडी आजमगढ़ के पत्र पर पूर्व में शिक्षक का वेतन रोक कर स्पष्टीकरण मांगा गया था।
कूट रचित दस्तावेजों पर नौकरी पाने के मामले में शिक्षक को बर्खास्त कर उसके खिलाफ अब एफआईआर दर्ज हो रही है। आजमगढ़ मंडल के जिलों में वर्ष 2015-16 में राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में प्रशिक्षत स्नातक (एलटी ग्रेड) की भर्ती हुई थी। इसमें बुलंदशहर निवासी अमित गिरि का चयन सहायक अध्यापक में सामाजिक विज्ञान पद पर हुआ था। आयोग द्वारा शैक्षिक प्रमाण पत्रों की जांच कराई गई तो वह फर्जी निकले हैं। मंडल में 22 शिक्षक जांच के दौरान फर्जी मिले हैं।
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