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माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थी स्कूल में हर दिन पढ़ेंगे समाचार-पत्र

माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थी स्कूल में हर दिन पढ़ेंगे समाचार-पत्र

प्रतापगढ़। जिले के सभी माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों की पढ़ने की अभिरुचि विकसित करने और डिजिटल स्क्रीन टाइम को कम करने के लिए हर दिन समाचार पत्र पढ़ना अनिवार्य किया गया है। रीडिंग कैंपेन को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए पुस्तकों के साथ-साथ समाचार पत्रों को भी विद्यालय की दैनिक पाठन संस्कृति का अंग बनाया जाएगा। विद्यार्थी हर दिन स्कूल पहुंचकर समाचार पत्र पढ़ेंगे।

जिला विद्यालय निरीक्षक ने सभी माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को पत्र भेजकर निर्देश दिए हैं। डीआईओएस ओमकार राणा ने बताया कि स्कूल में नियमित समाचार पत्र पढ़ने से विद्यार्थियों की सामान्य ज्ञान और समसामयिक विषयों (करंट अफेयर्स) पर पकड़ मजबूत होगी। विद्यार्थियों की विद्यार्थी बनेंगे जिम्मेदार समझ होगी विकसित डीआईओएस ने बताया कि अखबारों में प्रकाशित मानवीय कहानियां और सामाजिक मुद्दों से जुड़ी खबरें विद्यार्थियों को दूसरों के अनुभवों और चुनौतियों को समझने में मदद करती हैं। इससे उनमें सहानुभूति का विकास होता है। वह एक जिम्मेदार नागरिक बनने की ओर अग्रसर होते हैं।

शब्दावली और भाषा शैली में भी सुधार होगा। 

विभिन्न प्रकार से लेख और संपादकीय पढ़ने से लेखन क्षमता विकसित होगी।

विविध दृष्टिकोण और विश्लेषणों को पढ़ने से विद्यार्थियों में क्रिटिकल थिंकिंग एवं सही-गलत में भेद करने की समझ विकसित होगी। डिजिटल स्क्रीन की तुलना में भौतिक अखबार पढ़ने से विद्यार्थियों की एकाग्रता और धैर्य में वृद्धि होगी।

शिक्षकों को अब भी चयन वेतनमान का इंतज़ार

लखनऊ : शिक्षकों के चयन वेतनमान की प्रक्रिया एक साल पहले ऑनलाइन कर दी गई। इसके बावजूद शिक्षकों को चयन वेतनमान का इंतजार है। प्रदेश के 175 ब्लॉक ऐसे हैं, जहां किसी शिक्षक का चयन वेतनमान नहीं लगा। चयन वेतनमान के लिए महानिदेशक मोनिका रानी भी निर्देश दे चुकी हैं। फिर भी ब्लॉक स्तर पर कार्यवाही लटकी है।

बीईओ के स्तर से प्रक्रिया लटकी है। लखनऊ, बाराबंकी, उन्नाव, संभल, बस्ती सहित कई जिले ऐसे हैं, जहां कई ब्लॉक में अब तक शिक्षकों को चयन वेतनमान नहीं मिला। लखनऊ के मलिहाबाद, सरोजनी नगर, मोहनलालगंज और नगर क्षेत्र के जोन चार के शिक्षक शिकायत भी कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।

सीधे प्रवेश लेने वाले छात्रों को भी होगी शुल्क भरपाई

अभी ओबीसी छात्रों को मिलता है लाभ, अब सामान्य, एससी-एसटी वर्ग के छात्रों को भी मिलेगा फायदा

लखनऊ। बिना प्रवेश परीक्षा के शिक्षण संस्थानों में सीधे दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों को भी छात्रवृत्ति के साथ शुल्क भरपाई की तैयारी है।

इसमें किसी राज्य या राष्ट्र स्तरीय प्रवेश परीक्षा में बिना आवेदन किए सीधे निजी संस्थानों में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थी शामिल हैं। 

इसका लाभ एकेटीयू से संबद्ध संस्थानों में इंजीनियरिंग, फॉर्मेसी और मैनेजमेंट कोर्सेज में दाखिला लेने वाले छात्रों को मिलेगा।

इस तरह का प्रस्ताव विचाराधीन है। एकेटीयू जैसे विवि एक प्रक्रिया अपनाकर अपने स्तर से कटऑफ तय करके प्रवेश देते हैं।

वहां इसे लागू किया जाएगा। - असीम अरुण राज्यमंत्री, स्वतंत्र प्रभार

इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने पर एक लाख और छात्र योजना से लाभांवित हो सकेंगे। वर्तमान में सिर्फ अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों को ही बिना काउंसिलिंग के सीधे दाखिला लेने पर योजना का लाभ मिलता है। जानकार बताते हैं कि इस फैसले के लागू होने से 300-400 करोड़ रुपये व्यय भार बढ़ेगा।

इसलिए बंद हुई थी यह सुविधा

समाज कल्याण विभाग ने सामान्य, अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को यह सुविधा वर्ष 2018-19 से बंद कर दी थी। उस समय सीधे एडमिशन देने में काफी घपले सामने आए थे। तब इस श्रेणी में एडमिशन लेने वाले छात्रों की कुल संख्या करीब 80 हजार थी। इस कैटेगरी में अधिकतर अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों का प्रवेश दिखाने के मामले सामने आए थे। विभिन्न पाठ्यक्रमों में पहले साल योजना का लाभलेने के बाद बड़ी संख्या में छात्र गायब हो जाते थे।

एससी-एसटी छात्रों की वापस होती है पूरी फीस : प्रदेश में ढाई लाख रुपये तक सालाना आमदनी वाले एससी-एसटी परिवारों के छात्रों और दो लाख रुपये तक सालाना आमदनी वाले अन्य वर्गों के परिवारों के छात्रों को इस योजना का लाभ मिलता है। सामान्य, पिछड़े व अल्पसंख्यक छात्रों को अधिकतम 50 हजार रुपये की शुल्क भरपाई होती है, जबकि अनुसूचित जाति व जनजाति की पूरी फीस वापस की जाती है।

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