गेहूं के प्रमुख रोग
कारक जीवाणु
हिंदी नाम , आल्टरनेरिगा
ट्राईटीसाइना
1. पर्ण झुलसा रोग लक्षण एवं क्षति
1. उच्च आर्दता , अच्छी सिंचाई और
तापमान 22 डि . से 28 डि.से. इस बीमारी के लिए अनुकूल है ।
2. आरम्भ में पते में धब्बे दिखाई पड़ते है । धब्बे
छोटे गोल और बैंगनी रंग के होते है । बाद में धब्चों का आकार बढ़ जाता है और
अनियमित रूप से बिखर जाते है । निचले पत्ते झड़ जाते है
नियंत्रणः ग्राम प्रति लीटर प्रति हेक्टेयर
मेनकोजेब का छिड़काव करें या 1.5 ग्राम प्रति लीटर कार्बाडिजिम का
छिड़काव करें ।
आई.पी.एम. तकनीक
1. प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग करें ।
2. खेत की साफ - सफाई पर ध्यान दें ।
3.प्रमाणित
बीजों का उपयोग करें एवं बीज को ट्राईकोडर्मा नामक फफुन्नाशक से शोधित कर बुआई करे
।
4. देर से बोनी न करें ।
5. प्रभावित पौधों के अवशेषों को खेत से निकाल कर
नष्ट कर दें ।
6 .मई - जून के के महीनों में जब तेज धूप हो ,
बीज
को सुबह 4 घंटे तक पानी में भिगोने के बाद धूप में अच्छी प्रकार से सुखा लें ।
7. यह सावधानी रखना चाहिए कि बीज की अनुरण क्षमता
खता न हो ।
2. रोग आल्टानेरिया पत्ती अंगमारी ( Leaf spot )
हिन्दी नाम , आल्टानेरिया
पर्ण धब्जा रोग
कारक जीवाणु आल्टानेरिया पर्ण धब्बा रोग
लक्षण एवं क्षति
1.
आरंभ में पत्तियों के ऊपरी हिस्से पर
गोल धब्बे दिखाई पड़ते है ।
2.
ये धब्बे अनियमित रूप से फैले होते है
।
3.
धब्बे भूरे से काले रंग के होते हैं ।
4.
ऊतकक्षयी क्षेत्र चमकीले पीले रंग से
घिरा रहता है ।
5.
धब्बे बड़े होकर मिल जाते है और बड़े
धब्बे बन जाते है ।
6.
काला चुर्ण पदार्थ कॉनीडिया और
कॉनीडिया फॉर विकसित हो जाते इसी तरह के लक्षण बाली , पत्तियों पर
दिखाई पड़ते है ।
रासायनिक नियंत्रण
1)
3 ग्राम प्रति लीटर मैनकोजेब या
कार्बाडजिम 15 ग्राम प्रति लीटर का छिड़काव करें या 8
0.25 की दर से जीनेब या मेनेव या कॉपर आक्सीक्लोराइड का 10-15 दिन
के अन्तराल में छिड़काव करें
2)
प्रमाणित बीजों का उपयोग करे रोग
प्रभावित पौधे उखाड़कर नष्ट कर दें ।
आई.पी.एम. तकनीक
1 प्रतिरोधक किस्में जैसे एन.पी. - 4 . एन.पी. - 52
. एन.पी.
100. एन.पी. - 824 को बोये ।
2. खेत की साफ - सफाई पर ध्यान दें ।
3 .प्रमाणित बीजों का उपयोग करें ।
4. देर से बोनी न करें ।
5. प्रभावित पौधों के अवशेषों को खेत से निकाल कर नष्ट कर दें ।
6.
मई
- जून के महीनों में जब तेज धूप हो बीज को सुबह 4 घंटे तक पानी
में भिगोने के बाद धुप में अच्छी प्रकार से सुखा लें ।
3. रोग जेनथोमोनस केम्पेस्ट्रस ( Bacterial leaf blight )
हिन्दी नाम , जीवाणु अंगमारी और कदुआ रोग
कारक जीवाणु , जेनथोमोनस केम्पेस्ट्रीस लक्षण एवं
क्षति :
1.
जीवाणु बीज से भी फैल सकता है ।
2.
ये रोग बारिश , कीट से फैल सकती
है ।
3.
फली में दाने की जगह काला चूर्ण भर
जाते
4.
फसल की प्रारंभिक अवस्था में रोग आता
है भारत में यह रोग नहीं होता है ।
सस्य प्रबंधन
1.खेत की साफ - सफाई का ध्यान रखें ।
2. प्रतिरोधक किरमें का उपयोग करें ।
आई.पी.एम तकनीक
1. प्रतिरोधक किरमों का उपयोग करें ।
2. खेत की साफ - सफाई ध्यान दें ।
3. प्रमाणित बीजों का उपयोग करें ।
4. देर से दोनी न करें ।
5. प्रभावित पौधों के अवशेषों को खेत से निकाल कर
नष्ट कर दें ।
6. मई - जून के महीनों में जब तेज धूप हो बीज को
सुबह 4 घंटे तक पानी में भिगोने के बाद ग्रुप में अच्छे प्रकार से सुखा लें
।
4. रोग पीला सड़न ( Yellow rot
)
हिन्दी
नाम , पीला सड़न रोग
कारक जीवाणु , कोरीनबेक्टीरियम
ट्राइटीसी
लक्षण एवं क्षति
1. यह रोग कीटों से भी फैलता है
2. यह जीवाणु एनगुवीना ट्राइटीसी से सम्बन्ध है ।
3. बालियों पर पीले पदार्थ जमा हो जाता है ।
4. पदार्थ सूखने पर सफेद हो जाती है । बाद की
बालियां चिपचिपे पदार्थ की तरह आती है
सस्य प्रबन्धन
1.खेल
की साफ - सफाई का ध्यान रखें ।
2.प्रतिरोधक
किस्में का उपयोग करें ।
आई.पी.एम. तकनीक
1. प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग करें ।
2. खेत की साफ - सफाई पर ध्यान दें ।
3. प्रमाणित बीजों का उपयोग करें ।
4. देर से दोनी न करें ।
5. प्रभावित पौधों के अवशेषों खेत से निकाल कर
नष्ट कर दें ।
6. मई - जून के महीनों में जब तेज धूप हो ,
बीज
को सुबह 4 घंटे तक पानी में भिगोने के बाद धुप में अच्छी प्रकार से सुखा लें ।
5. रोग तुषाभ सदन और जीवाणुफ्ती अंगमारी
हिन्दी नाम , तुषाभ सड़न और
जीवाणुपत्ती अंगमारी रोग
कारक जीवाणु , सुडोमोनास
लक्षण एवं क्षतिः
1. 1. यह रोग नमी युक्त क्षेत्रों में होता
है ।
2. 2.रोग बीज , कीट और बारिश से
फैल सकता है ।
3. 3. पत्ते तने और फली पर गहरे हरे रंग के
धब्बे दिखाई पड़ते है ।
4. 4.बाद में धब्बे गहरे भूरे से काले हो
जाते हैं । यदि मौसम गीला हो तो एक सफेद सा साथ नजर आता है ।
सस्य प्रबन्धन
1.
खेत की साफ - सफाई का ध्यान रखें
प्रतिरोधक किस्म का उपयोग करें ।
1. प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग करें ।
2. खेत की साफ - सफाई पर ध्यान दें । प्र
3.माणित
बीजों का उपयोग करें ।
4.देर
से बोनी न करें ।
5. प्रभावित पौधों के अवशेषों को खेत से
निकाल कर नष्ट कर दें ।
6. मई - जून के महीनों में जब तेज धूप हो ,
बीज
को सुबह 4 घंटे तक पानी में भिगोने के बाद धूप में अच्छी प्रकार से सुखा
रोग सूटी मोल्ड ( Sooty mold
)
हिन्दी नाम , सूटी मोल्ड रोग
कारक जीवाणु आल्टानेरिया क्लोढोरपोरियम
, स्टेगफाइलम इपीकोकुम
लक्षण एवं क्षति
1. यह रोग नमी , बारिश वाले
क्षेत्रों में होता है ।
2. एफिड के आक्रमण से यह रोग होता है
फफूंद के इकटठा होने से फली काली पड़ जाती है ।
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