आम की फसल में आईपीएम पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ समापन
लखनऊ। भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय के उप कार्यालय क्षेत्रीय केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र में आम की फसल में आईपीएम पर तीस दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का गुरूवार को समापन हुआ।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. एस. एन. सुशील, निदेशक राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरोएबेंगलुरु व विशिष्ट अतिथि के रूप में टी.पी. चौधरी निदेशक (कृषि रक्षा), डॉ. विजय बहादुर द्विवेदी संयुक्त निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण व क्षेत्रीय आईपी एमण् सेंटर के प्रभारी एवं संयुक्त निदेशक डॉ. ज्ञान प्रकाश सिंह मौजूद रहे ।
कार्यक्रम में केंद्र सरकार के संयुक्त निदेशक डॉ. ज्ञान प्रकाश सिंह ने बताया कि किसानों द्वारा आम की फसलों में रासायनिक कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग के कारण होने वाले दुष्परिणामों को रोकने एवं रासायनिक कीटनाशी के प्रयोग के विकल्प के रूप में केंद्र सरकार द्वारा अपनाये गए आईपीएम विधि को किसानों तक पहुँचाने के लिए राज्य कृषि रक्षा विभाग, उद्यान विभाग तथा कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार निदेशालय के अधिकारियों को एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन पर प्रशिक्षित किया गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ.एस. एन. सुशील निदेशक राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरो भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने कहा कि रासायनिक कीटनाशकों के अवशेष आम के फलों में होने की वजह से उत्तर प्रदेश से आम के निर्याप्त में बाधा उत्पन्न हो रही है। कार्यक्रम का संचालन अमित सिंह, सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी ने किया।
गुणवत्तायुक्त आम के उत्पादन में आईपीएम प्रभावी
लखनऊ : गुणवतायुक्त आम उत्पादन व किसानों की आय दोगुनी करने में आईपीएम प्रभावी साबित हो रहा है। यह बात मुख्य अतिथि डॉ. एसएन सुशील निदेशक राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरो, बंगलुरू ने उप कार्यालय क्षेत्रीय केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र में कही। गुरुवार को अंतिम दिन किसानों को आम की फसल में आईपीएम की तकनीक बताई गई। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि टीपी चौधरी निदेशक (कृषि रक्षा), डॉ. विजय बहादुर द्विवेदी संयुक्त निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण व क्षेत्रीय आईपीएम सेंटर के प्रभारी एवं संयुक्त निदेशक डॉ. ज्ञान प्रकाश सिंह रहे।
डॉ. ज्ञान प्रकाश ने किसानों को बताया कि आम की • फसलों में रासायनिक कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग से नुकसान होता है। इसे रोकने के लिए आईपीएम विधि किसानों तक पहुंचाने के लिए यह प्रशिक्षण संचालित किया गया।

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