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आम की फसल में आई.पी.एम. पर दीर्घकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न

आम की फसल में आई.पी.एम. पर दीर्घकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न

लखनऊ। भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय के उप कार्यालय क्षेत्रीय केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र में आम की फसल में आई.पी.एम. पर दीर्घकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि डा. एस. एन. सुशील, निदेशक, राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरो, बेंगलुरु, विशिष्ट अतिथि टी. पी. चौधरी, निदेशक (कृषि रक्षा), उत्तर प्रदेश सरकार, डा. विजय बहादुर द्विवेदी, संयुक्त निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, उत्तर प्रदेश सरकार एवं क्षेत्रीय आई. पी. एम. सेंटर के प्रभारी एवं संयुक्त निदेशक डॉ. ज्ञान प्रकाश सिंह कार्यक्रम में उपस्थित थे ऋकार्यक्रम में केंद्र सरकार के संयुक्त निदेशक डॉ. ज्ञान प्रकाश सिंह ने बताया कि किसानों द्वारा आम की फसलों में रासायनिक कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग के कारण होने वाले दुष्परिणामों को रोकने एवं रासायनिक कीटनाशी के प्रयोग के विकल्प के रूप में केंद्र सरकार द्वारा अपनाये गए आई.पी.एम. विधि को किसानों तक पहुँचाने के लिए राज्य कृषि रक्षा विभाग, उद्यान विभाग तथा कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार निदेशालय के अधिकारियों को एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन पर प्रशिक्षित किया गया क्रउन्होने कहा कि आई.पी.एम. को बढ़ावा दें परिणामस्वरूप कम लागत के साथ गुणवत्तायुक्त कृषि उत्पाद प्राप्त करें।

कार्यक्रम में उपस्थित बतौर मुख्य अतिथि डा. एस. एन. सुशील, निदेशक, राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरो, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने इस तीस दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि किसानों द्वारा आम की फसल में कीट एवं बीमारियों से बचाने के लिए रासायनिक कीटनाशकों का अनुचित एवं अंधाधुंध उपयोग किया जा रहा है रासायनिक कीटनाशकों का अविवेकपूर्ण प्रयोग पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदेह है एवं रासायनिक कीटनाशकों के अवशेष आम के फलों में होने की वजह से

उत्तर प्रदेश से आम के निर्यात में बाधा उत्पन्न हो रही है उन्होंने अधिकारियों को संबोधित करते हुये कहा कि आम के फलों को फल मक्खी कीट के प्रकोप से बचाने तथा निर्यातोन्मुखी गुणवत्तायुक्त आम के उत्पादन में यह दीर्घकालीन प्रशिक्षण अत्यंत उपयोगी साबित होगा क्रउन्होंने यह भी कहा कि बगैर रसायन के उत्पादित आम के फ्लों का राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अधिक मूल्य प्राप्त होता है।

डा. एस. एन. सुशील ने अधिकारियों को संबोधित करते हुये कहा कि सभी प्रसार कार्यकर्ता आम के बागों में ही कीड़े-बीमारियों का प्रबंधन इस स्तर पर करें कि निर्यात को बढ़ावा मिल सके क्र कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित टी. पी. चौधरी, निदेशक, उत्तर प्रदेश सरकार, ने कहा कि इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट (आई.पी.एम.) ही एकमात्र विकल्प है जो रासायनिक कीटनाशकों के अनुचित उपयोग को कम कर सकता है और उन्होंने कहा कि अब प्रदेश के सभी जनपदों में आई.पी.एम. के अंतर्गत आने वाले विभिन्न प्रकार के ट्रैप्स तथा जैविक कीटनाशकों की उपलब्धता भी सुनिश्चित करने हेतु कृषि विभाग प्रयासरत एवं प्रतिबद्ध है। उन्होने विभिन्न जनपदों से आए हुये तकनीकी अधिकारियों को संबोधित किया।

आईपीएम को बढ़ावा दें, बेहतर कृषि उत्पाद प्राप्त करें लखनऊ। जानकीपुरम स्थित क्षेत्रीय

केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र में आम की फसल में आईपीएम पर दीर्घकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन गुरुवार को हुआ। कार्यक्रम में केंद्र सरकार के संयुक्त निदेशक डॉ. ज्ञान प्रकाश सिंह ने बताया कि किसानों द्वारा आम की फसलों में रासायनिक कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग के कारण होने वाले दुष्परिणामों को रोकने एवं रासायनिक कीटनाशी के प्रयोग के विकल्प के रूप में केंद्र सरकार द्वारा अपनाये गए आईपीएम विधि को किसानों तक पहुंचाने के लिए राज्य कृषि रक्षा विभाग, उद्यान विभाग तथा कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार निदेशालय के अधिकारियों को एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन (आईपीएम) पर प्रशिक्षित किया गया। उन्होंने कहा कि आईपीएम को बढ़ावा दें, जिससे कम लागत के साथ गुणवत्तायुक्त कृषि उत्पाद प्राप्त करें। कार्यक्रम में उपस्थित बतौर मुख्य अतिथि डा. एसएन, सुशील, निदेशक, राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरो, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने इस तीस दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित

किसानों की आय दोगुनी करने में आईपीएम एक प्रभावी विकल्पः डॉ. सुशील

दिनांक : 03 जनवरी, 2024 से 01 फरवरी, 2014 स्थान : क्षेत्रीय केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केन्द्र लख़नऊ 

क्षेत्रीय केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र में आयोजित कार्यक्रम में मौजूद अतिथिगण।

क्षेत्रीय केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र में आयोजित दीर्घकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न करते हुये कहा कि रासायनिक कीटनाशकों के अवशेष आम के फलों में होने की वजह से उत्तर प्रदेश से आम के निर्यात में बाधा उत्पन्न हो रही है।

उन्होंने अधिकारियों को संबोधित करते हुये कहा कि आम के फलों को फल मक्खी कीट के प्रकोप से बचाने तथा निर्यातोन्मुखी गुणवत्तायुक्त आम के उत्पादन में यह दीर्घकालीन प्रशिक्षण अत्यंत उपयोगी साबित होगा। उन्होंने यह भी कहा कि बगैर रसायन के उत्पादित आम के फलों का राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अधिक मूल्य प्राप्त होता है। डा. सुशील ने अधिकारियों को संबोधित करते हुये कहा कि सभी प्रसार कार्यकर्ता आम के बागों में ही कीड़े-बीमारियों का प्रबंधन इस स्तर पर करें कि निर्यात को बढ़ावा मिल सके।

                     ट्रेनिंग सर्टिफिकेट वितरण

कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित टी. पी. चौधरी, निदेशक (कृषि रक्षा), उत्तर प्रदेश सरकार ने विभिन्न जनपदों से आए हुये तकनीकी अधिकारियों को संबोधित करते हुये कहा कि आप सभी आईपीएम अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित करें क्योंकि एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन बगैर कीटनाशक अवशेष के आम उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

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